पृथ्वी की सतह और महासागरों के औसत तापमान में वृद्धि को ग्लोबल वार्मिग कहा जाता है। तापमान में यह बढ़ोतरी ग्रीनहाउस गैसों के कारण होती है, जो कि जीवाश्म ईंधन जलाने के कारण पैदा होती हैं। ये ग्रीनहाउस गैसें, जैसे कार्बन डाइऑक्साइड और मीथेन सूर्य से आने वाली गर्मी को सोख लेती हैं, जो कि पृथ्वी की सतह के गर्म होने का कारण बनता है। ग्लोबल वार्मिंग पिछले दो दशकों में सबसे बड़े पर्यावरणीय मुद्दों में से एक के रूप में उभरा है।
नासा के अनुसार,
“1906 और 2005 के बीच वैश्विक औसत सतह का तापमान 0.6 से 0.9 डिग्री सेल्सियस (1.1 से 1.6 डिग्री फ़ारेनहाइट) बढ़ गया है, और तापमान वृद्धि की दर पिछले 50 वर्षों में लगभग दोगुनी हो गई है। तापमान और बढ़ना भी तय है।”
ऐसा लगता है कि तापमान पहले से कहीं ज्यादा तेजी से बढ़ रहा है। मानव गतिविधियाँ जैसे कि जीवाश्म ईंधन का जलना, वनों की कटाई, औद्योगीकरण और प्रदूषण में बढ़ोतरी को ग्लोबल वार्मिंग में वृद्धि के लिए जिम्मेदार बड़े कारकों में से एक माना जाता है।
आइए आपको ग्लोबल वार्मिग के बारे में कुछ हैरान कर देने वाले रोचक तथ्य बताते हैं-
ग्लोबल वार्मिग के बारे में 20 हैरान कर देने वाले तथ्य – Amazing Facts About Global Warming in Hindi
1. ग्लोबल वार्मिंग कार्बन डाइऑक्साइड और मीथेन जैसी ग्रीनहाउस गैसों के कारण पृथ्वी की सतह के औसत तापमान में बढ़ोतरी का परिणाम है। पृथ्वी पर मानव जीवन की उपस्थिति के लिए इन गैसों की आवश्यकता होती है। हालांकि, इन गैसों के अधिक उत्सर्जन के कारण ग्लोबल वार्मिंग हो रही है।
2. कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रस ऑक्साइड और अन्य ग्रीनहाउस गैसों जैसे उत्सर्जन कई वर्षों तक वातावरण में बने रहते हैं, जिससे कई दशकों तक ग्लोबल वार्मिंग को खत्म करना असंभव है।
3. आईपीसीसी 2007 की रिपोर्ट के अनुसार, इस सदी के अंत तक ग्लोबल वार्मिंग के कारण समुद्र का स्तर 7-23 इंच बढ़ जाएगा।
4. सन 1880 के बाद से, औसत तापमान में 1.4 फ़ारेनहाइट डिग्री की वृद्धि हुई है।
5. जलवायु अध्ययनों के अनुसार, 20वीं सदी के अंतिम दो दशक (1981 से सन 2000) पिछले 400 वर्षों में सबसे गर्म रहे हैं।
6. आर्कटिक यानि कि उत्तरी ध्रुव का एक बड़ा हिस्सा ग्लोबल वार्मिंग से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाली जगहों में से एक है।
7. 2000 और 2004 के बीच संकलित एक रिपोर्ट के अनुसार, अलास्का, पश्चिमी कनाडा और रूस में औसत तापमान वैश्विक औसत से दोगुना बढ़ गया है।
8. आर्कटिक की बर्फ तेजी से पिघल रही है। 2040 तक इस क्षेत्र में पूरी तरह से बर्फ मुक्त गर्मी या उससे भी पहले होने की उम्मीद है।
9. उत्तरी अमेरिका के मोंटाना ग्लेशियर नेशनल पार्क में साल 1910 में ग्लोशियरों की संख्या 150 थी, जो कि अब सिर्फ 25 तक ही बची है।
10. ग्लोबल वार्मिंग और प्रदूषण के कारण, मूंगे की चट्टानों पर पनपने वाला पारिस्थितिकी तंत्र बहुत बूरी तरह से प्रभावित हो रहा है जिनके नष्ट होने की दर 1980 के बाद से बहुत तेज़ी से बढ़ रही है।
11. ग्लोबल वार्मिंग के कारण आए जलवायु परिवर्तन के कारण दुनियाभर में जंगलों की आग और गर्मी की लहरों की घटनाएं हर साल तेज़ी से बढ़ रही हैं।
12. वर्तमान समय में पौधों और महासागरों द्वारा सोखी जाने वाली कार्बन डाइऑक्साइड के मुकाबले इंसान ज्यादा मात्रा में यह गैस पैदा कर रहे हैं।
13. पिछले 100 वर्षों में समुद्र का स्तर लगभग 7 इंच बढ़ा है, जो पिछले 2000 वर्षों में बढ़ने वाले कुल स्तर से भी अधिक है। ग्लोबल वार्मिंग के कारण समुद्र का बढ़ता स्तर तटीय क्षेत्रों के साथ रहने वाले लोगों के जीवन को खतरे में डाल सकता है। लगभग 10 करोड़ लोग समुद्र तल से 3 फीट नीचे वाले स्थानों पर रहते हैं, और दुनिया के कई शहर ऐसे संवेदनशील तटीय क्षेत्रों के पास स्थित हैं।
14. ग्लेशियरों के पिघलने से एक तरफ जहां समुद्र का स्तर बढ़ेगा, तो दूसरी तरफ वहीं पानी के प्राकृतिक स्रोतों पर निर्भर क्षेत्रों में पानी की कमी होगी।
15. ग्लोबल वार्मिंग के कारण कई प्रजातियों के आवास, पारिस्थितिक तंत्र, अम्लीय महासागर के लुप्त हुए हैं जिसके कारण 10 लाख से अधिक प्रजातियां विलुप्त हो गई हैं।
16. ग्लोबल वार्मिंग से महासागर की कन्वेयर बेल्ट पूरी तरह से बदल जाएगी, जिससे यूरोप में छोटा हिमयुग आ जाएगा।
17. बढ़ते तापमान की वजह से अधिक ग्रीनहाउस गैसों की उत्तपत्ति होगी, जो मीथेन को अनलॉक करेंगे और पानी के अधिक वाष्पीकरण का कारण बनेंगे।
18. साल 2011 तक हर सेकंड 1000 टन कार्बन डाइऑक्साइड पर्यावरण में उत्सर्जित हुई।
19. 20वीं सदी में कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर 6,50,000 वर्षों में सबसे अधिक रहा है। 1950 तक, इस स्तर में 11% तक की वृद्धि थी जो हाल ही में 40% तक बढ़ गई।
20. औद्योगिक क्रांति के कारण, कोयला, तेल और गैस जैसे जीवाश्म ईंधन का उपयोग बड़े पैमाने पर शुरू हुआ। इससे न केवल ग्रीनहाउस गैसों में वृद्धि हुई बल्कि यह अस्थमा और अन्य श्वसन रोगों के कारण बड़े पैमाने पर होने वाली मौतों के लिए भी जिम्मेदार था।
Abhay says
Wow It’s really nice