1. हिंदु महाकाव्यों और पुराणों में भारत को ‘भारतवर्ष’ कहा गया है, जिसका अर्थ है – ‘भरत का देश’। इन्हीं ग्रंथों में यहां के निवासियों को ‘भारत संतति’ कहा गया है अर्थात् ‘भरत की संतान’।
2. कुछ विद्वान जानबूझकर प्राचीन भारत के आर्य और द्रविड़ लोगों को एक दूसरे के शत्रु घोषित करने की कोशिश करते हैं। लेकिन उनकी यह कोशिश तब धरी की धरी रह जाती है जब हमें ये पता चलता है कि उत्तरी भारत में रचे गए वेद ग्रंथों में द्रविड़ भाषाओं के कई शब्द पाए जाते हैं और दक्षिण में रचे गए तमिल ग्रंथों में भी कई शब्द गंगा के मैदानों में बोली जाने वाली प्राचीन भाषा के हैं।
3. हमारे प्राचीन कवियों, दार्शनिकों और शास्त्रकारों ने इस देश को हमेशा एक अखंड इकाई के रूप में देखा। प्राचीन भारत के लोग एकता के लिए प्रयत्नशील रहे।
4. हमारे प्राचीन विद्वानों ने ‘हिमालय से लेकर समुद्र तक फैली हुई हज़ारों योजन भूमि को एक ही चक्रवर्ती सम्राट की निजी जागीर बताया है’। उन्होंने चक्रवर्ती सम्राट के पद को प्राप्त करने वाले राजा की प्रशंसा की है।
5. प्राचीन भारत में राजनीतिक एकता प्रमुख रूप से दो बार आई थी। 2300 साल पहले सम्राट अशोक ने अपना साम्राज्य दक्षिण के कुछ क्षेत्रों को छोड़ सारे देश में फैलाया। फिर इसके बाद इस प्रकार की एकता 600 साल बाद दुबारा आई जब सम्राट समुद्रगुप्त ने अपने 335 से 375 ईसवी के राजकाल में अपनी विजय पताका को गंगा घाटी से तमिलनाडू तक पहुँचाया।
6. भारत के सबसे पहले ग्रंथ वेद हैं। इनकी कुल गिणती चार है – ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्वेद।
7. वेदों को अच्छी तरह से समझने के लिए वेदांगो की रचना की गई है जिनकी गिणती 6 है। ये 6 वेदांग हैं – शिक्षा, ज्योतिष, कल्प, व्याकरण, निरूक्त और छंद।
8. प्राचीन समय में कुछ स्वार्थी पुजारियों ने अफ़वाह फैला रखी थी कि वेद को शुद्र और स्त्रियां पढ़ नहीं सकते। उन्होंने ऐसा इसलिए किया था क्योंकि वो नहीं चाहते थे कि सभी को वेदों का सच्चा ज्ञान प्राप्त हो, क्योंकि इससे उनकी वो आय बंद हो जाती जो वो लोगों को वेदों के बारे में भ्रमित करके अर्जित करते थे। किसी भी प्राचीन भारतीय ग्रंथ में ऐसा नहीं लिखा है कि उसे किसी विशेष जाति या लिंग के लोग पढ़ नहीं सकते।
9. उत्तरी भारत के विशाल हिमालय पर्वतों के कारण 1962 में भारत-चीन युद्ध के समय चीन के सिवाए कोई भी हमलावर उत्तर से भारत को जीतने के लिए सेना लेकर नहीं आया।
10. हिमालय के पर्वत साल के ज्यादातर समय बर्फ से ढंके होने के कारण किसी भी भारतीय राजा ने उत्तरी क्षेत्रों को जीतने के लिए अभियान नहीं चलाया।
11. ‘हिंदुस्तान’ शब्द का सबसे पहला वर्णन ईरान के सासानी शासकों के अभिलेखों में मिलता है जो कि तीसरी सदी के आस-पास के हैं।
12. किसी समय तमिलनाडू के कुछ क्षेत्रों को छोड़कर पूरे भारत में प्राकृत भाषा का उपयोग होता था, जिसे लिखने के लिए आमतौर पर ब्राह्मी लिपि उपयोग की जाती थी।
13. बदलते समय के साथ प्राकृत भाषा के बाद संस्कृत भाषा पूरे देश में छा गई जो गुप्त काल में अपने शिखर पर पहुँच गई। सभी छोटे-बड़े राज्यों के राजकीय दस्तावेज़ संस्कृत में लिखे जाने लगे।
14. भारतीयों को आपस में बांटने वालों के इरादों पर तब पानी फिर जाता है जब हमें पता चलता है कि प्राचीन भारत में रामायण और महाभारत देश के कोने-कोने में पढ़े जाते थे। ये दोनों महाकाव्य तमिलों के प्रदेश में भी वैसे ही भक्ति-भाव से पढ़े जाते थे जैसे कि बनारस, असम और तक्षशिला में।
15. वैदिक काल में पत्नी को इस प्रकार सम्मान दिया गया है – ‘वो अर्धांगिनी और सच्ची मित्र है। वो गुणों का स्रोत (source) है। वो खुशी और लक्ष्मी का रूप है। जब आप उसके साथ अकेले होते हैं, तो वो आपकी मित्र होती है, जब आप उसके साथ विचार-विमर्श करते हैं, तो वो पिता के सामान होती है।’
16. पुराण प्राचीन भारत के वो महत्वपूर्ण ग्रंथ हैं जो इतिहास से संबंधित हैं। हांलाकि इनकी गिणती 18 है, लेकिन इनमें से केवल 5 में ही राजाओं की वंशावली पाई जाती है। ये 5 पुराण हैं – मत्स्य, विष्णु, वायु, ब्रह्म और भविष्यत् पुराण। बाकी पुराण इतिहास की अपेक्षा धार्मिक कथाओं के दृष्टिकोण से ज्यादा महत्व रखते हैं।
17. पुराणों में ऐसे बहुत से राजाओं का वर्णन मिलता है जो कि ‘मध्यदेश’ (आज के उत्तर प्रदेश और बिहार) में राज किया करते थे। इनसे हमें रामयण, महाभारत काल से लेकर मौर्य वंश के पत्न तक की जानकारी मिलती है।
18. डॉक्टर स्मिथ के अनुसार ‘विष्णु पुराण’ मौर्य वंश की और ‘मत्स्य पुराण’ आन्ध्र एवं शिशुनाग वंशों के संबंध में जरूरी जानकारी प्रदान करते हैं।
19. पुराणों से प्राचीन भारत के नगरों के प्राचीन नाम और उनके बीच की दूरी का पता चलता है। पुराणों से कुछ राजाओं और उनके राज क्षेत्रों के बारे में भी सही-सही या फिर सही के आस-पास की जानकारी प्राप्त होती है।
20. कार्बन डेटिंग पद्धति (C14) से पता चला है कि कश्मीर और राजस्थान में 8 से 9 हज़ार साल पहले भी खेतीबाड़ी होती थी।
Tags : Indian History Facts in Hindi.
benami says
ramayan purani hai ya hadppa – sindhukhin ????
शाकिर इक़बाल says
आदरणीय / इज़्ज़त-ओ-माब
जनाब साहिल कुमार साहब –
आदरणीय महोदय बिला-शुबा भारत के इतिहास से संबंधित अत्यंत महत्वपूर्ण तथ्य
जिस सुन्दरता-ओ-ख़ूबसूरती से आपने प्रस्तुत किये हैं निश्चिंत रूप से आप बधाई के पात्र हैं
Sahil kumar says
धन्यवाद शाकिर जी। वैसे हमने कोई इतना महान काम नहीं किया है, जो आपने हमें इतनी उपाधियां दे दी। 😉
Virendra Chauhan says
Nice One dear
Jamshed khan says
बहुत अच्छा लेख, इससे भारत के बारे में बहुत सिखने को मिला!
Rajen Singh says
साहिल कुमार जी , भारतीय इतिहास से जुड़े काफी ऐतिहासिक और रुचिपूर्ण तथ्य आपने इस आर्टिकल में बताए है ,
जो कि ज्ञानवर्धक है , क्योकि इसमे मेने कई सारी छोटी से छोटी बात को भी देखा और पढ़ा है ,
जिससे कि इतिहास को गहराई से समझने में मदद मिलती है ।
सभी को ये आर्टिकल पढ़ना चाहिए , क्योकि इसमें काफी कुछ जानकारी सम्मिलित है ।।
Good