Megasthenes – मेगस्थनीज एक ग्रीक इतिहासकार और विद्वान था जो कि सेल्युकस के राजदूत के रूप में चंद्रगुप्त मौर्य के दरबार में आया था। माना जाता है कि मेगस्थनीज लगभग 5 साल तक महाराज चंद्रगुप्त के दरबार में राजदूत रहा। ये समय 302 से 298 ईसापूर्व के बीच का था।
मेगस्थनीज की इंडिका
मेगस्थनीज़ ने अपनी ‘इंडिका’ नामक पुस्तक में अपने समय के भारत के बारे में काफी कुछ लिखा है। दुर्भाग्य से इस पुस्तक की मूल प्रति अब उपलब्ध नहीं है लेकिन बाद के इतिहासकारों के लेखन में हवाले के रूप में उसकी पुस्तक के काफी सारे अंश मिलते है। हालांकि इन वर्णनों की सत्यता पर संदेह है, लेकिन इन्हें एकदम से ठुकराया नहीं जा सकता।
मेगस्थनीज़ का भारत वर्णन
मेगस्थनीज़ का जन्म 350 ईसापूर्व में हुआ था और वो लगभग 46 साल की उम्र में भारत आया था। मौर्य साम्राज्य की राजधानी पाटलिपुत्र तक पहुँचने के लिए उसे ईरान से काफी लंबा सफर तय करना पड़ा था। रास्ते में वो पंजाब में भी रुका था जिसका वर्णन भी उसने थोड़ा बहुत किया है।
राजा
मेगस्थनीस सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य के निजी जीवन का विस्तृत विवरण देता है। वो बताता है कि राजा की रक्षा के लिए महिला अंगरक्षिकाएं हुआ करती थी। उसे हर समय अपने जीवन का भय लगा रहता था इसलिए वो कभी लगातार दो दिन एक ही कमरे में नही सोता था। राजा सारा दिन काम में लगा रहता था।
राजा ज्यादातर समय राज महल में ही रहता था और केवल युद्ध, न्यान, यज्ञ और शिकार के समय ही बाहर जाया करता था। वो शिकार का बड़ा शौकीन था और दूर-दूर तक हाथी पर चढ़कर शिकार किया करता था। जिस रास्ते से उसे जाना होता था, उसके दोनों और रस्से लगा दिए जाते थे। अगर कोई इन रस्सों को पार करता था, तो उसे मृत्युदंड दिया जाता था।
राजा मोतियों से जड़ी हुई सोने की पालकी में बैठकर प्रजा को दर्शन दिया करता था। इस समय उसने मलमल के कपड़े धारण किए होते थे, जो सुनहरी और बैंजनी रंग के धागों से कढ़े होते थे। राजा को जब थोड़ी यात्रा करनी होती थी तब वह घोड़े की सवारी करता था और जब उसे दूर की यात्रा करनी होती थी तब वह हाथी की सवारी करता था।
पाटलिपुत्र
पाटलिपुत्र के बारे में वो कहता है कि यह नगर समानांतर चतुर्भुज (Parallelogram) के आकार जैसा है जो लंबाई में लगभग 15 किलोमीटर और चौड़ाई में 3 किलोमीटर है।
यह भारत का सबसे बड़ा शहर है जो गंगा और सोन नदी के संगम पर बसा हुआ है। शहर के चारों और एक लकड़ी की दीवार है जिसमें तीर छोड़ने के लिए बड़े छेद बने हुए हैं। इस दीवार के 64 द्वार और 570 बुर्ज(मीनारें) हैं।
पाटलिपुत्र का प्रबन्ध 30 सदस्यों का एक आयोग करता था।
चंद्रगुप्त का राजभवन
मेगस्थनीज ने चंद्रगुप्त के राजमहल को शानदार बताया है। उसने कहा है कि वो पहले जिस भी किसी राजा के राजमहल में गया है वो सब के सब चंद्रगुप्त के राजमहल के सामने फीके नज़र आते हैं।
महल के स्तंभों पर सोने की बेलें चढ़ी हुई थी जिन पर चाँदी के पक्षियों को सजाया गया है। महल के चारों और बड़े-बड़े बाग और साफ पानी के तलाब थे। तलाबों में मछलियां तैरा करती थी।
खाने के लिए सोने-चाँदी के बर्तनों का प्रयोग होता था। नक्काशी के काम से सुसज्जित मेज और कुर्सियाँ बहुत शानदार थी।
सेना
मेगस्थनीज़ कहता है कि सेना के प्रबंध के लिए 30 अधिकारी नियुक्त थे जो 5-5 की टुकड़ी में 6 विभागों में बंटे हुए थे। पहला विभाग नौसेना का था। दूसरा विभाग सेना को रसद पहुँचाता था और परिवहन आदि के कार्य संभालता था। तीसरा विभाग पैदल सेना का था। चौथा घोड़सवार सेना, पाँचवा युद्ध-रथों का और छठा विभाग हाथियों से संबंधित था।
पैदल सेना का हथियार था- तीर-कमान। ये कमानें सैनिक के कद के बराबर हुआ करती थीं। पैदल सैनिक के पास तीन हाथ लंबी एक तलवार भी होती थी। घुड़सवार दो बरछे और एक छोटी ढाल रखते थे।
राज्य के लोग
मेगस्थनीज़ ने भारत की जनता को 7 वर्गों में बांटा था। पहले वर्ग में दार्शनिक आते थे। ये संख्या में कम थे, लेकिन इनका स्थान अन्य वर्गों से ऊँचा था। दूसरा वर्ग किसानों का था। तीसरा वर्ग गड़रियों का था। चौथा वर्ग कारीगरों का था। इनमें से कुछ हथियार बनाते थे और कुछ खेती उपकरण। पाँचवा वर्ग सेना का था। छठा वर्ग उन अधिकारियों का था जो देशभर की जाँच-पड़ताल और प्रबंध करते थे। सांतवा वर्ग सभासदों का था जो लोगो के सम्बन्ध में विचार-विमर्श और चर्चा करते थे। राजा इन्हीं लोगों से सलाह लिया करता था।
Megasthenes Indica Pdf in Hindi
जैसा कि आपको पता चल ही गया होगा कि Megasthenes की Indica book मूल रूप में ऊपलब्ध नहीं है। लेकिन प्राचीन इतिसाहकारों के पास Megasthenes की पुस्तक उपलब्ध थी। उन्होंने जब भारत के बारे में अपने अध्ययन लिखे थे तो उन्होंने मेगस्थनीज के वर्णनों से कई टिप्पणियां ली थी।
हाल की सालों में कुछ इतिहासकारों ने उन वर्णनों को इक्ट्ठा कर Indica पर कई books लिखी हैं जो कि Amazon पर available हैं। Copyright कानून के कारण इन books की pdf हम आपको provide नहीं कर सकते।
लेकिन Wikipedia पर Indica के सभी वर्णन आपको मिल जाएंगे, जो download के लिए उपलब्ध हैं। इन वर्णनों को आप हिन्दी में यहां से और English में यहां से pdf में download कर सकते हैं।
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Note : यह लेख मेगस्थनीज और उसकी इंडिका पुस्तक में भारत वर्णन के बारे में था, अगर आपको किसी और चीज़ के बारे में जानकारी चाहिए तो आप Comment कर पूछ सकते हैं। धन्यवाद।
प्रीतम धारीवाल says
इंडीका पुस्तक का नाम इंडिया नाम से लिया गया है और तब भारत ना होकर हमारे देश का नाम जंबू द्विप था तो तब इंडिया नाम कहां से आया जो अब तक चल रहा है ?
Sahil kumar says
ग्रीक लोक इंडिया ही कहते थे।
Maniram says
वास्तव में indika में मेगस्थनीज क्या कहना चाहते है ,मतलब कि समरी के रूप में देखना चाहे तो इंडिका की समरी क्या हो सकती है
Ankit says
Shilalekh ka name bataye jispar chanakya ka name aaya ho
Sahil kumar says
अंकित जी, अशोक के किसी भी शिलालेख पर आचार्य चाणक्य का नाम किसी भी रूप में नहीं है।
Prem maurya says
How this book purchase
Sahil kumar says
Prem ji, this book is not available in actual form.
भानू नंदवंशी says
इंडिका में नंदवंश के बारे में भी कुछ जिक्र है अगर है तो उसकी (नंदवंश) की उपलब्धियाँ बताने का कष्ट करे
Sahil kumar says
जी नहीं, उनके बारे में कुछ भी नहीं है।
Vipin lamba says
Sir punjab ke baare main kya kaha gaya hai
Pooja says
मेगस्थनीज की इंडिका के बारे में विस्तार से वर्णन करो?
Sir मुझे इस प्रश्न का जवाब चाहिए
Pratibha Chaudhary says
Megasthnese ek unani rajdoot tha Jisko Bharat me chandragupta mourya ke darwaar me bheja..
Megasthnese ne Bharat me akar Jo bhi dekha ya anubhav Kiya usne apne anubhav ko ek pustak me likh Diya jiska name tha Indica..
Megasthnese ki Indica ke through Hume mourya vansh ki shashan pranali,economical condition n’d uss tym kis tarah ka shashan tha ya praja kesi thi kaafi jankaari milty hai,
Harishchandra says
Sir ahir shabd ki utpati megasthnese kiya tha kya?
Sahil kumar says
नहीं।
NARESH says
Indus, indica, India ye sb konsi language ke he
Sahil kumar says
It is in old greek.
Abhishek says
क्या मेगास्थनीज ने चन्द्रगुप्त को श्रीकृष्णा के वंसज लिखा था क्या क्या अशोका के किसी शिलालेख पर कृष्णा या फिर उनके वंश से होने की बात है क्या ?
Sahil kumar says
श्रीकृष्णा का वर्णन और नाम के रूप में है। उसमें उनका चंद्रगुप्त के साथ कोई संबंध नहीं बताया गया है।
Sonu says
Who gave word ” indus”???
Sahil kumar says
शायद ईरानी लोगों ने दिया था।
BALBEER SURYAVANSHI says
चाणक्य का जिक्र इसीलिए नही किया गया इंडिका में क्यों कि चाणक्य नाम का प्राणी कोई जन्मा ही नही है बल्कि चंद्रगुप्त के बड़े भाई थे विष्णु मौर्य जो चंद्रगुप्त के राजनैतिक सलाहकार ओर प्रधानमंत्री थे,
लेकिन ये सब जाती को बढ़ाबा देने बाले लोगो ने चाणक्य को आचार्य चाणक्य बनाकर इतना श्रेस्ठ बना दिया जैसे चंद्रगुप्त को महान राजा उसने बनाया हो
अगर चाणक्य महान था तो उसका थोड़ा सा जिक्र तो होता इंडिका में लेकिन बिल्कुल भी नही है.
मेगस्थनीज 5 साल तक रहे मौर्य काल मे जब तक इतने महान व्यक्ति के दर्शन नही हुए क्या.
इतिहास के नाम पर लोगो को कितना मूर्ख बनाया जा रहा है
ये सोचने बाली बात हो गयी है हम सब के लिये।
Sahil kumar says
बलबीर जी, मेगस्थनीज की मूल पुस्तक उपलब्ध नहीं है। उसके जो भी विवरण मिलते हैं, वो सब अन्य लेखको द्वारा दिए गए संदर्भों पर आधारित हैं। रही बात चाणक्य की, तो ऐतिहासिक स्रोतो से इस बात के संकेत मिलते हैं, कि चंद्रगुप्त को सम्राट बनाकर चाणक्य खुद वन में चले गए गए थे। मैगनीज़ इस घटना के बाद भारत आया था।
भगवत सिंह पटेल says
फिर भी इतने बड़े और महान व्यक्तित्व का जिक्र न आना कहीं न कहीं यह दर्शाता है कि ये गपोडबाज लोगों ने काल्पनिक चरित्र गढ़ दिया है
Sahil kumar says
राजा के सिवा किसी भी अन्य व्यक्ति का जिक्र नहीं है।
Saffron says
तुम शायद भीम गैंग द्वारा बीमारी से ग्रस्त लगते हो क्योंकि चाणक्य का नाम खुद बौद्ध ग्रंथ महा वंश में आया है और जहां चाणक्य की बात आती है ना चाणक्य का सबसे पहला वर्णन बौद्ध ग्रंथ और जैन ग्रंथ जैन साहित्य मंजूश्री मूल कल्प में चाणक्य का वर्णन है तो यह कहना गलत होगा और आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि यह दोनों ग्रंथ बहुत ज्यादा पुराने है महावन श्रीलंका का ऐतिहासिक ग्रंथों में से एक है और पुरातन काल में श्रीलंका और भारत का एक अभिन्न हिस्सा था अगर पता ना हो और मंजूश्री नाम की है जो जैन ग्रंथ है इसी के अंदर चंद्रगुप्त का पूरा वर्णन मिलता है दूसरी यह कहना गलत होगा चाणक्य काल्पनिक थे और अब एक मजेदार की बात बताता हूं मैं कि स्थानीय की इंडिका पढ़ने वाले ज्यादातर विद्वानों का कहना है कि मैं रजनीश ने अपनी इंडिका में 2 शब्दों का प्रयोग किया है पोली ब्रोच और दूसरा सैंड्रोकॉटोस जबकि Poly ग्रोथ कोई नगर था और सैंड्रोकॉटोस पुरुष के अधीन कोई राजा और इससे यह स्पष्ट होता है कि मेगास्थनीज चक्रवर्ती सम्राट की दरबार में नहीं ठहरा था।
Rizzu says
Megasthanese duwara varnit bhart ki rajnetik dasa ka varnan
रिजवान says
भाई इंडिया में चन्द्रगुप्त के लिए सेनडोकोटस आओर एणडोकोटस शब्द क्यों मिलते है जबकि उसका नाम चन्द्रगुप्त था भाई जरूर बताऐ
Sahil kumar says
रिजवान जी, जैसने हमने अले्कजेंडर को सिकंदर कर दिया, जैसे अंग्रेजों ने गुप्त को गुप्ता कर दिया, वैसे ही यूनानी इतिहासकारों ने चंद्रगुप्त को सैंडरोकोस्ट कर दिया।
Abhishek yadav says
Sir isme Rani durdhra k baare me btaya gya h ?? Explaination dijiye iss pr
Sahil kumar says
नहीं अभिषेक जी, इसमें रानी धुरधरा के बारे में नहीं बताया गया है।
Jedi parihar says
Sir jab hame प्राचीन भारतीय इतिहास के स्रोत पढ़ते हैं तो हमें रामायण महाभारत गीता आदि के बारे नहीं पढ़ाया जाता है क्या उनसे कोई जानकारी नहीं मिलती इतिहास की ?????
Sahil kumar says
मिलती है जेदी जी। कई भूगोलिक तथ्यों का हमें इन ग्रंथों से ही पता चलता है।
Narendra Mewada says
Jati ka varnan megasthaness ne kiya h ya nhi bharata ke bare m……..
Or bharat m akal pdane ka varan b kiya h ya nhi …
Sir answer plz
Sahil kumar says
नरेंद्र जी उसने सात वर्गों का वर्णन किया है। अकाल पड़ने जैसी किसी घटना का विवरण नहीं है।
नरेंद्र सिंह says
सर जी, किसी ने मुझसे यह दावा किया है कि इंडिका में कहीं भी ब्राह्मण शब्द का उल्लेख नहीं है तो मैं उसको यह कैसे जवाब दे सकता हूं जबकि मेरे पास तो वह पुस्तक है नहीं। कृपया ऐसा अध्याय या फिर का उल्लेख करें जिसे मैं उसे जवाब दे सकूं।
Sahil kumar says
नरेंद्र जी इंडिका में सीधे तौर पर ब्राह्मण शब्द का उल्लेख नहीं है। लेकिन उस समय ब्राह्मण शब्द प्रचलन में था। इसका सबूत है, सम्राट अशोक के वो शिलालेख, जो आज भी मौजूद है। उन पर साफ-साफ ब्राह्मण शब्द का उल्लेख है।
Raghvendra says
sir ek channel hai sciecnce journey ke naam se wo kahta hai ki sanskrit bhasa 600 sal purani hai aap kya kahte hain . indika ki mool bhasha kya hai . dusri baat shri krishna ko wo kalpnik batata hai aap kahte ho ki is book mein naam aaya hai shri krishna ka .
Sahil kumar says
राघवेंद्र जी YouTube पर कई लोग दूषित प्रचार करते हैं। यह चैनल उन्हीं में से एक है।
एस के मौर्यवंशी says
गौतमबुद्ध का उल्लेख मेगस्थनीज की इंडिका में क्यो नही है ??
क्या बुद्ध काल्पनिक है ???
Sahil kumar says
एसके जी, मेगस्थनीज की मूल पुस्तक हमारे पास नहीं है। हमें इस पुस्तक की जानकारी केवल उन इतिहासकारों के संदर्भों से मिलती है जिन्होंने सदियों साल पहले इसकी सहायता से भारत या मौर्य वंश से संबंधित इतिहास लिखा था। इसके सिवाए मेरा मानना यह है कि मूल पुस्तक में भी भगवान बुद्ध का वर्णन नहीं होता, क्योंकि बौद्ध मत को सम्राट अशोक ने लोकप्रिय किया था जो कि महाराज चंद्रगुप्त के पौते थे। ऐसे में जो पुस्तक केवल महाराज चंद्रगुप्त के बारे में लिखी गई थी, उसमें भगवान बुद्ध का वर्णन कैसे हो सकता है?
सबसे बड़ी बात, बुद्ध काल्पनिक नहीं थे।
अमित कुमार says
बुद्ध बेशक काल्पनिक नही है परंतु बुद्ध की कई बातें काल्पनिक जरूर है
अमित says
गौतमबुद्ध का उललेख मेगस्थनीज़ की इंडिका में सायद इसलिए भी नही है क्योंकि उस समय मौर्य साम्राज्य अपने राज्य में किसी अन्य धर्म को प्रचारित नही होने देता था…इसका एक बड़ा कारण चाणक्य थे जिनका मानना था कि दो धर्म एक राज्य में एक साथ रह कर ईर्ष्या,मतभेद और अविश्वास आदि को बढ़ावा देते है।
Sangita says
Indica m kis subject ki jankari multi h
Sahil kumar says
यह लेख में विस्तार से बताया गया है, संगीता जी।
Ashok Sharma says
ईसमे सरकार व पौरस के बीच युद्ध किस नदी पर हूआ
Sahil kumar says
उसका कोई वर्णन इसमें नहीं है।
Karan says
झेलम नदी ।
Mukesh birla says
करपया बताये कि मेगस्थनीज ने राम व रामायण का जिक्र करते हैं या नहीं अगर नहीं तो फिर रामायण कौन सी इस्वी में लिखी गयी सबसे पहले इसका जिक्र किस विदेशी लेखक ने किया है
Sahil kumar says
मुकेश जी इंडिका पुस्तक हमारे पास सीधे तौर पर नहीं बल्कि अलग-अलग इतिहासकारों के विवरणों पर आधारित है। ज्यादातर विवरण वो हैं जिनमें केवल मौर्य साम्राज्य और इसकी राजव्यवस्था के बारे में बताया गया है। ऐसे में उन पुराने लेखकों ने हो सकता है कि ऐसी बातों का विवरण देना उचित ना समझा हो।
Omkar Yadav says
क्या इण्डिका में किसी ऐसे नदी का जिक्र है जिसमे कोई चीज डूबती नही थी जैसे-पत्थर इत्यादि?
Sahil kumar says
मैंने इस बारे में नहीं पढ़ा। शायद नहीं होगा।
Lavkush kumar patel says
क्या धर्म के बारे में कोई जानकारी मिलती है इंडिका से कि लोग किस धर्म को मानते थे?
Sahil kumar says
आपके सभी कमेंटस का जवाब मैं यहीं दे रहा हुँ।
1. इंडिका से पता चलका है कि राजा(चंद्रगुप्त मौर्य) यज्ञ करता था, यानि कि वो हिंदु धर्म को मानता था।
2. उस समय ब्राह्मण को छोड़कर किसी भी जाति का जिक्र नहीं है। दलित, वैश्य का भी नहीं।
Karan says
चाणक्य का उल्लेख
बौद्ध ग्रंथ
महावंश के पंचम परिच्छेद के 16 , 17 सूत्र में हुआ है ।
दीपवंश
ललितविस्तार अध्याय 25
अशोका वदान
हिंदू ग्रंथ
अर्थशास्त्र
मुद्राराक्षस
जैन ग्रंथ की बुक में
चन्द्रगुप्त मोर्य हिंदू धर्म का था । शिकार , यज्ञ करता था ।
मेगस्थनीज ने जाति को खुदके हिसाब से 7 वर्ग में बाटा था मेसेडोनिया सिकंदर के समय ब्राह्मण,जैन, बौद्ध आदि को उनकी बोलचाल की भाषा में सभी को दार्शनिक कहा है ।
और उसने लिखा है दर्शनिक सुखा अकाल , भविष्यवाणी,अंतिम संस्कार आदि करते थे उसके बदले उनको कुछ अनाज देते थे ।
और दार्शनिक का समाज में राजा से उच्च स्थान था
सैनिक
खेती करने वाले कृषक
मंत्री
इस तरह से उसने कर्म के आधार पर जाति व्यवस्था बाटी थी ।
Virendra kumar yadav says
Sir btaeye ki india me viswas ki devta ka tha shiv ki ya krishna ki kyoki krishna ka ti naam hai aur shiv ka naam nhi hai
Sahil kumar says
ऐसा कोई देवता नहीं है, विरेंद्र यादव जी।
DIGESHWAR CHARAN says
अगर कोटिल्य का जन्म 350 ईसा पूर्व हुआ था और वह 46 साल की उम्र में भारत आया इसका मतलब है कि वह 304 ईसा पूर्व भारत आया था तो फिर आपने तो बताया है कि वो 302 -298 ईसा पूर्व तक भारत में रहा । सर ये समझ नहीं आया सही तिथि क्या है ? उसके भारत आने कि यदि परीक्षा में पूछा जाये तो ।
Sahil kumar says
शायद आप कोटिल्य की जगह मेगस्थनीज का जिक्र कर रहे हैं दिगनेश्वर जी। असल में वो 46 साल की उम्र में अपने देश से चला था और धीरे-धीरे भारत पहुँचा था। 302 से 298 तक वो मौर्य राजदरबार में रहा था। वैसे इस तरह के प्रश्न परीक्षा में नहीं पूछे जाते हैं, क्योंकि इनका कोई पक्का संदर्भ नहीं होता है। 302 से 298 ईसापूर्व महज इतिहासकारों द्वारा लगाया गया अनुमान है, वो सही बैठता प्रतीत होता है।
नितेश says
मेगस्थनीज ने चाणक्य का वर्णन नही किया
फिर चाणक्य को चंद्रगुप्त का गुरु क्यो और कैसे बनाया।
मेगास्थनीज ने किन किन धर्मो का उल्लेख किया है ।
चंद्रगुप्त के समय 7वर्ग थे तो खुद चंद्रगुप्त किस वर्ग के थे
Sahil kumar says
पहली बात यह है कि ऊपर दिया वर्णन मेगस्थनीज की मूल पुस्तक का नहीं है, जैसे कि ऊपर पोस्ट में बताया या है। सही पुस्तक जो थी, उसमें राज्य के प्रधानमंत्री (चाणक्य) का वर्णन जरूर होगा।
BALBEER SINGH KUSHWAHA says
चाणक्य नाम का कोई व्यक्ति जन्मा ही नही है अगर जन्मलेता तो जिक्र भी जरूर होता
ये सब ब्राह्मण अपनी जाति को बढ़ाबा देने के लिए बोलते रहते है
जब इनकी जाती की बात आती है तब तो ये रावण को भी धोके से मारने की बात बोलने लग जाते है और यह कहने से भी नही हटते की दशहरा के दिन रावण का दहन बंद करो।।
Bhavin says
इंडिका मे बुद्ध का भी वर्णन नहीं इसीलिए बुद्ध भी नहीं हे थे। पूरी कॉमेंट पढ़ रहा हु, तुम जबरजसती चाणक्य नहीं थे ऐसा साबित करने का प्रयत्न कर रहे हो। लेकिन दिमाग है की नहीं? इंडिका मे चाणक्य नहीं तो बुद्ध भी नहीं है। या तो दोनों का होने से इंकार करो या दोनों का स्वीकार करो। क्योंकि चाणक्य और बुद्ध दोनों का जिक्र दूसरी पुस्तकों मे मिलता है। इसीलिए अपना अजेंडा छोड़ो और मूल बात करो।
RAJESH D says
सम्राट असाेक के शिलालेखाे पर एक नजर डालिये. सभी शंकाये दुर हाे जायेगी.
Antara singh says
Indica me shiv ji ko kis Greek debta ke sath milaya gaya hai
Sahil kumar says
शायद इंडिका में भगवान शिव का वर्णन नहीं है। अगर है, तो उसे अभी तक चिन्हित नहीं किया गया।
अमित कुमार says
इंडिका में भारत के किसी भी देवता के बारे में वर्णन इसलिये भी नही है क्योंकि वह एक यूनानी था और यूनियन में अन्य धर्मों एव वहां के देवताओ के बारे में लिखना पाप माना जाता था और इसके लिए मिरत्युदण्ड तक का प्रावधान था। क्योंकि मैग्नाथीज़ ने ये बुक भारत के किसी राजा या अन्य के लिए नही लिखी थी। सिर्फ भारत के बारे में लिखी थी जिसे की उसे वापिस फारस लेकर वापिस जाना था ऐसे में वह यहां के धर्म,देवताओ के बारे में लिख कर वहां नही ले जा सकता था। अगर वह यहाँ के धर्म और देवताओ के बारे में लिख कर ले जाता तो उसे मिरत्युदण्ड की सजा मिल सकती था। इसी लिए मैग्नाथीज़ ने अपनी किताब इंडिका में हिन्दू धर्म और अन्य देवताओं के बारे में कोई जानकारी नही दी है।
J bhai says
इंडिका में इंडिया सब्द का उपयोग किया गया है क्या ?
Sahil kumar says
हां, उसे नाम पर तो इस पुस्तक का नाम इंडिका पड़ा है।
Jitu says
Megasthanis ka samband kis rajya se tha
Sahil kumar says
आप पोस्ट को ध्यान से पढ़ें, पूरी जानकारी उसमें दे दी गई है।
Avinash says
Chandragupt maurya shrawanbelgola kyo gya aur us samay uski age kitni thi?
Sahil kumar says
शायद 41.
लोकेश साहू says
क्या इंडिका में कौटिल्य या चाणक्य का उल्लेख है?
Sahil kumar says
नहीं लोकेश जी।
अमित कुमार says
चाणक्य ही कौटिल्य था एव बिल्कुल इंडिका में हमे चाणक्य के बारे में जानकारियां मिलती है कि कैसे उसने एक गरीब बच्चे को एक महान और सूझबूझ वाला राजा बना दिया।
Sahil kumar says
अमित जी यह वर्णन इंडिका में नहीं है।
Anjali says
Megasthenes me apni book Indica me Bhagwan Shiv ko aur Bhagwan Krishna ko kya bola hai
Sahil kumar says
भगवान श्री कृष्ण को तो उन्होंने Herakles बोला है। लेकिन भगवान शिव के बारे में कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है।
Harendra kumar says
Who is Nandini wife of Chandra,or daughter of nand
Sahil kumar says
इस महिला के बारे में ज्यादा ऐतिहासिक जानकारी नहीं है।
Ratnesh says
Chankya ke bare me kuchh nhi bataya gua hai q
Sahil kumar says
रतनेश जी चाणक्य के बारे में यह पढ़ें – आचार्य चाणक्य के 39 विचार
आदर्श says
अग्रिमोई and आंटिनोमोई किस प्रसाशन से सम्बंधित थे
Sahil kumar says
ये लोग थे कौन? कृपा इनके नाम अंग्रेज़ी में लिखकर बताएं। धन्यवाद।
Kavi dewangan says
राज्य-कर वसूल करने के लिए अलग पदाधिकारी थे, जिन्हें यूनानी लेखको ने अग्रनोमोई नाम दिया है,भूमि का नाप तथा सिंचाई का काम भी इन्ही अधिकारियो के हाथ में था।
dharmendra mohe says
Sahil kumar ji hame.1857 k veer krantikari aadivasi bhima nayak k bare me jankari chaiye ..