मौर्य साम्राज्य के आखरी महान सम्राट अशोक द्वारा 269 ईसापूर्व से 232 ईसापूर्व तक के अपने शासनकाल में चट्टानों और पत्थर के स्तंभों पर कई नैतिक, धार्मिक और राजकीय शिक्षा देते हुए लेख खुदवाए गए थे, जिन्हें अशोक के अभिलेख या अशोक के शिलालेख कहा जाता है।
शिलालेख उन लेखों को कहा जाता है जो चट्टानों पर खोद कर लिखे जाते हैं। अशोक के शिलालेख आधुनिक भारत, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश और नेपाल में मिलते है, जहां-जहां पर मौर्य साम्राज्य का अधिकार था। ये सभी लेख सम्राट अशोक द्वारा कलिंग युद्ध के बाद के वर्षों में लिखवाए गए थे।
सम्राट अशोक ने शिलालेक क्यों लिखवाए?
कलिंग युद्ध में हुई आपार हानि की वजह से सम्राट अशोक को बहुत दुख पहुँचा था और उन्होंने अपना बाकी सारा जीवन प्रजा की भलाई के लिए अर्पित कर दिया। प्रजा को नैतिक शिक्षाएं देने के लिए उन्होंने हर गांव, नगर, चौराहे पर हज़ारो की संख्या में पत्थरों पर नैतिक संदेश लिखवा दिए। एक शिलालेख में सम्राट खुद वर्णन करते है कि उन्होंने क्यों ये अभिलेख लिखवाए थे-
“यह लेख मैंने इसलिए लिखवाया है कि लोग इसके अनुसार आचरण करें और यह चिरस्थायी रहे। जो इसके अनुसार आचरण करेगा, वह पुण्य का काम करेगा।”
सम्राट अशोक के कुछ शिलालेखों की जानकारी तो इतिहासकारों को पहले से थी लेकिन नए शिलालेख खोज़ना काफी मुश्किल था जो जंगलों और वीरानों में कहीं छिपे पड़े थे। अतः इस कार्य को शिकारियों, भौगोलिकों व साहसी व्यक्तियों द्वारा पुरा किया गया।
सन 1750 से आज़ादी तक सम्राट अशोक के कई नए शिलालेख खोजे गए। ध्यान रखने वाली बात यह है कि यह शिलालेख 2300 साल पहले लिखवाए गए थे और हज़ारों की संख्या में लिखवाए गए थे। इतने लंबे समय में कई शिलालेखों को लोगों द्वारा अनजाने में या जानबूझकर नष्ट कर दिया गया था लेकिन सौभाग्यवश कई आज हमारे पास है और ये मौर्य कालीन इतिहास का मुख्य स्रोत हैं।
सम्राट अशोक के शिलालेख कितने प्रकार के हैं?
सम्राट अशोक के अभिलेखों को मुख्य रूप से 5 भागों में बाटा जा सकता है-
1. चतुदर्श शिलालेख या 14 शिलालेख वाली चट्टानें (Major Rock Edicts)
2. लघु शिलालेख (Minor Rock Edicts)
3. बड़े स्तम्भलेख या सप्त स्तम्भलेख (Major Pillar Edicts)
4. लघु स्तम्भलेख (Minor Pillar Edicts)
5. गुफालेख (Cave Inscriptions)
पहले दो प्रकार के अभिलेख चट्टानों या पत्थर के बड़े-बड़े टुकड़ों पर खोद कर लिखे गए हैं। (Image 1)
अगले दो प्रकार के लेख पत्थर के गोल स्तंभों पर लिखे गए हैं। (Image 2)
तीसरे प्रकार के लेखों की संख्या ज्यादा नहीं है। ये बिहार में बाराबार की पहाड़ियों में एक साथ 3 गुफाओं में लिखे गए है। अशोक द्वारा लिखवाए गए गुफालेख और कहीं भी नहीं मिलते हैं। (Image 3)
यह सभी शिलालेख इतने महत्वपूर्ण है कि संक्षेप में वर्णन करने से कई महत्वपूर्ण जानकारियां रह जाएंगी। इसलिए हमने सभी 5 प्रकार के शिलालेखों का वर्णन अलग-अलग 5 लेखों में विस्तार से किया है। (अभी पोस्ट करने बाकी हैं।)
बहराल इस पोस्ट में नीचे सभी शिलालेखों से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां नीचे दी गई हैं-
अशोक के शिलालेख कहां-कहां पाए गए हैं?
आप नीचे दिए चित्र से समझ सकते है कि सम्राट अशोक के शिलालेख कहां-कहां पाए गए हैं। Pillar Edicts में दोनो प्रकार के स्तम्भलेख – बड़े और लघु शामिल हैं।
Image Source – Wikimedia
सम्राट अशोक के शिलालेख किस भाषा में लिखे गए हैं?
सम्राट अशोक के सभी लेख प्राकृत भाषा में लिखे गए है जिन्हें लिखने के लिए दो लिपियों का उपयोग किया गया है – ब्राह्मी लिपि और खरोष्ठी लिपि।
पाकिस्तान के शाहबाज गढ़ी और मान सेहरा को छोड़कर जितने भी शिलालेख पाए गए है वो सभी ब्राह्मी लिपि में लिखे गए हैं।
शाहबाज गढ़ी और मान सेहरा में पाए गए शिलालेख खरोष्ठी लिपी में लिखे गए हैं। यह दोनो शिलालेख पहले प्रकार के शिलालेख हैं। (चतुदर्श शिलालेख या 14 शिलालेख वाली चट्टानें – Major Rock Edicts)
अशोक के दो लेख अफगानिस्तान में भी मिले हैं। जिनमें से एक युनानी भाषा में लिखा हुआ है और दूसरा यूनानी और अरामाई भाषा के मिले जुले मिश्रण से। यह दोनों प्राकृत लिपि में नहीं है। एक शिलालेख लघु है और दूसरा 14 लेखों वाला।
प्राकृत भाषा – भारतीय आर्यभाषाओं को तीन भागों में बांटा गया है – प्राचीन, मध्यकालीन और अर्वाचीन। पहली प्रकार की भाषाओं का समय 2000 से 600 ईसापूर्व तक का है जिनमें वैदिक संस्कृति और संस्कृत भाषा शामिल है। मध्यकालीन भाषाओं में मागधी, अर्धमागधी, शौरसेनी आदि भाषाएं शामिल है। इन सभी मध्यकालीन आर्यभाषाओं के संयुक्त रूप को प्राकृत भाषा कहा जाता है। तीसरी प्रकार की अर्वाचीन भाषाओं में हिंदी, गुजराती, मराठी और बांग्ला जैसी भाषाएं आती है जो अब भी चल रही हैं।
सम्राट अशोक के ज्यादतर लेख प्राकृत भाषा के ‘मागधी’ स्वरूप में लिखे गए थे।
ब्राह्मी लिपी – ब्राह्मी लिपी संभवत: सिन्धु घाटी की उस प्रागैतिहासिक लिपि से निकली है जो अर्द-चित्रसंकेत के रूप में थी। ब्राह्मी लिपी का प्रचार भारतवर्ष के अधिकतर भाग में था। ब्राह्मी लिपि न केवल वर्तमान भारत के भिन्न-भिन्न भागों में प्रचलित थी बल्कि संस्कृत या द्रविड़ से निकली हुई अनेक लिपियों की जननी है। इसके सिवाए ये दक्षिण पूर्वी एशिया में तिब्बती, सीलोनी, बर्मी तथा जावानी आदि अनेक लिपियाँ भी उसी से निकली हैं।
खरोष्टी लिपि – खरोष्टी लिपि पश्चिमी एशिया की एरमेइक लिपि का ही रूपान्तर है और इसका प्रचार भारतवर्ष के उत्तरापथ प्रदेश में तब हुआ जब वह प्रदेश सिकंदर के हमले से पहले दो सदियों तक फारस के एकमेनियन राजाओं के अधिकार में था। खरोष्टी लिपि फारसी लिपि की तरह दाहिनी ओर से बाई ओर को लिखी जाती है। खरोष्टी कुछ सदियों के बाद आप ही अपनी मृत्यु से मर गयी, क्योंकि वह संस्कृत या प्राकृत भाषाओं को लिखने में समर्थ न थी।
शिलालेखों में अशोक का नाम
गुर्जरा का लघु शिलालेख तथा मास्की का लघु शिलालेख केवल ये दो ही अशोक के अभिलेख है जिनमें ‘अशोक’ नाम पाया जाता है। अशोक के अन्य अभिलेखों में उसका उल्लेख केवल “देवनांप्रिय प्रियदर्शी राजा” ही पाया गया है। “देवनांप्रिय प्रियदर्शी राजा” का अर्थ है- देवताओं के प्यारे और सबों पर कृपादृष्टि रखने वाले राजा।
कभी कभी सम्राट का उल्लेख केवल “देवानां प्रिय” या “राजा प्रियदर्शी” के नाम से भी किया गया है।
साहित्यक दन्तकथाओं में प्रायः अशोक का उल्लेख प्रियदर्शी या प्रियदर्शन के नाम से भी हुआ है। पर कुछ दूसरे प्राचीन राजा जो मौर्य साम्राज्य के राजा नहीं थे और अशोक के परिवार के कुछ सदस्य भी “देवानां प्रिय” और “प्रियदर्शन” के नाम से प्राचीन साहित्य में लिखे गए हैं (शिलालेखों में नही)।
सम्राट अशोक ने “प्रियदर्शी” नाम बौद्ध धर्म ग्रहण करने के बाद दया और निष्पक्षता की नीति का अनुसरण करने के कारण ग्रहण किया या फिर किसी और कारण से, इसके बारे में कुछ नहीं पता।
अशोक का धर्म
अशोक के सभी शिलालेखों का प्रधान विषय ‘धर्म‘ है। इस बात में कोई दो राय नहीं है कि अशोक ने बौद्ध धर्म ग्रहण कर लिया था लेकिन उसके शिलालेखों में जो बातें है वो बौद्ध धर्म की शिक्षाओं से जुड़ी ना होकर नीतिशिक्षा से है, जिसका प्रचार अशोक ने भगवान बुद्ध के उपदेशों का सार समझ कर किया।
अशोक ने कुछ सद्गुणों को ही धर्म समझा था। इन सद्गुणों में कम से कम पाप की मात्रा तथा अधिक से अधिक परोपकार की मात्रा तथा दया, दान, सत्य, पवित्रता और सज्जनता आदि गुण सम्मिलित थे। शिलालेखों में सदाचार, विचार की शुद्धता, कृतज्ञता, दृढ़भक्ति आदि की प्रशंसा तथा दूसरों से जलन, घमंड, गुस्से, क्रुरता और हिंसा की निंदा की गई है।
आपको सम्राट अशोक के सभी शिलालेखों में दी हुई शिक्षाओं के बारे में जानना चाहिए। इसलिए हमने सभी तरह के शिलालेखों के बारे में अलग लेखों में विस्तार से बताया है।
Note : आप सम्राट अशोक के सभी प्रकार के शिलालेखों के बारे में जरूर पढ़े। अगर आपको इन शिलालेखों के बारे में कोई अतिरिक्त जानकारी चाहिए, तो वो आप Comments के माध्यम से पूछ सकते है। धन्यवाद।
राजेश says
राजा अशोक किस अभिलेख में लिखा है
(A )maanski
(B)gurjari
(सी)rummindei
(डी)not
Sahil kumar says
गुर्जरा और मासकी।
Himanshu kumar says
साम्राटअशोक का सबसे बारा अभिलेख कौन है
करन says
अशोक के किस अभिलेख पर राजस्थान के राजा ने अभिलेख लिखा
यदुवेन्द्र says
अशोक के सर्वाधिक अभिलेख किस राज्यो से मिले हैं
Biman Tamang says
सर नमस्कार ! मै नेपाल से आपको एक बात पुछ्ना था कृपा कर्के बतादिजेगा। राजा अशोकका अभितक मिलिहुइ शिलालेख मे क्या संयुक्त लेटर प्रयोग हुवा है या नहि? उदाहरण के लिए क्ष,त्र,ऋ,ष और राजा अशोक ने बौद्ध धर्मको अपनानेसे पहेले ओ किस धर्म से थे?
Sahil kumar says
जी नहीं, बौद्ध धर्म से पहले वो हिंदु धर्म से थे, कई उल्लेखों में उन्हें शिव का पुजारी बताया गया है।
वीरेंद्र सिंह says
सर अशोक के किस अभिलेख से पुरोहित का वर्णन मिलता है या ब्राह्मणों की निंदा का उल्लेख मिलता है।
Sahil kumar says
जी नहीं।
Chetan jadhav says
यह गलत हे … चंद्रगुप्त मौर्य जैन हुये थे …बिंदूसार आजिवक… तथ अशोक प्रथम आजिवाक संप्रदायी थे
Siddik says
Junagadh vala Silalekh kitne number ka Silalekh he
Sahil kumar says
Uska koi numebr nahi hai Siddik ji.
Siddik says
Junagadh Silalekh par kya likha hua hai plz tell me
Sahil kumar says
नीचे कमेंटस में एक लेख का लिंक दिया गया है, जिसमें बताया गया है कि उस शिलालेख पर क्या लिखा है।
राजेश says
जूनागढ़ अभिलेख में अशोक ने बौद्ध धर्म का वर्ण न किया है
Ajay Mehra says
अशोक का तेरवा शिलालेख कहां पर स्थित है
Sahil kumar says
इसके लिए यह लेख पढ़ें अजय जी – सम्राट अशोक के चतुदर्श शिलालेख या 14 शिलालेख वाली चट्टानों पर क्या लिखा है?
Akanksha awasthi says
नेटूर और उद्दगोलम अभिलेख किस स्थान पर है???
Sahil kumar says
Nittur is a village in Tumkur district of Karnataka. Please describe the correct name of ‘उद्दगोलम.’
S s rana says
Ashok ke silalekho mein vartman bharat aur bharat bahar ke silalekhon me kya antar hai?
Sahil kumar says
भाषा की प्रकृति को छोड़कर कुछ खास नहीं।
Sumaiya khan says
Ashok ke wo kon kon se abhilekh h Jo rajnitik se sambandhit hai plzzz rply
Sahil kumar says
कोई अभिलेख राजनीति से संबंधित नहीं है। लेकिन कुछ में दूसरे देशों के राज्यों का वर्णन किया गया है।
Amit says
Ashok ke junagadh silalekh ki bhasha kon si hai book me pali bhadha batai ja rahi hai
Sahil kumar says
किताब में गलत लिखा होगा, ऐसा अकसर होता है।
Ramim Panwar says
Asokha ke abhilek ke stano ke Kya nam h
Sahil kumar says
क्या आपके stano का मतलब है?
दलपत सिंह says
अशोक के VI शिलालेख की विषय वस्तु क्या है
Sahil kumar says
सम्राट अशोक के शिलालेख पढ़ने के लिए यहां click करें दलपत सिंह जी।
Parmatma Maurya says
सम्राट अशोक महान मौर्य वंश के आखिरी शासक नही थे वो तीसरे शासक थे।आखिरी और दसवाँ मौर्य वंश के शासक बृहद्रथ मौर्य थे जिनका उन्हीं का कृपा पात्र सेनापति पुष्पमित्र शुंग ने धोखे से हत्या कर दिया था
Sahil kumar says
यहां पर बात बड़े शासक की गई है।
राजेश says
अशोक अन्तिम सम्राट थे (बड़े क्षेत्र में राज करने वाले को सम्राट की उपाधि दी जाती थी), अंतिम शासक व्रहद्रथ थे
Anju says
Ashok ne kis abilekh me likha ki sbi manusay mere bachche h
Sahil kumar says
ऐसा उन्होंने किसी भी अभिलेख में नहीं लिखा है।
Sandeep Kumar says
,, अंजू जी आपका अंस “पृथक ब्रहद शिलालेख” में अशोक ने कहा,,. “समस्त प्रजा मेरी संतान है” यदि अप संतान की तरह रहेंगे तो आपको पुरस्कार मिलेगा/यदी आप धम्म का पालन नहीं करेंगे तो दंड भी मेरे पास है
DR.RAMESH says
KALING KE PRITHAK LEKH Me
राजेश says
७ वें
Shubham says
अशोक को किस अभिलेख में जैन धर्मावलंबी बताया है????
Sahil kumar says
किसी में भी नहीं शुभम जी। बल्कि अभिलेख उनके बौद्ध धर्म से संबंध को ही बताते है, और वो भी बिलकुल स्पष्ट तरीके से।
Mulayamrajput says
Asok ke 14 abhilekh kisne like
Sahil kumar says
शायद ये सम्राट अशोक ही लिखे हुए है। इन्हें हज़ारों कारीगरों द्वारा लिखवाया गया होगा।
UTTAM KUMAR says
अशोक ने अपने 7 वें स्तम्भ लेख में क्या लिखवाया था
Sahil kumar says
उत्तम कुमार जी इसके लिए आप ये लेख पढ़ें – सम्राट अशोक के चतुदर्श शिलालेख या 14 शिलालेख वाली चट्टानों पर क्या लिखा है?
अमित says
सम्राट अशोक के समय कलिंग का राजा कौन था साहिल जी, इस प्रश्न का उत्तर मुझे अभी तक नही मिला जो संतुष्ट कर सके
Sahil kumar says
मैने इतिहास की कई पुस्तके पढ़ी है अमित जी, सभी में यही पाया है कि उस समय के कलिंग के राजे का नाम किसी भी तरह से उपलब्ध नहीं है।
Amardeep says
अनंत पद्मनाभन।
Pavan says
kharvel
Lokesh sharma says
खारबेल बंश के राजा नंदराजवत्स था
kumar says
आपकी लिखने की शैली और इतिहास को रोचक तरीके से रीडर के सामने लाने वाली ये बात बहुत अच्छी लागी सर. इतिहास को अगर रोचक तरीके से सिखा जाए तो कभी नहीं भुला जा सकता. पोस्ट शेयर करने के लिए धन्यवाद
Kumar dhiraj says
very informative…plz publish abt shilalekh which was written on.
Sahil kumar says
आने वाले लेख इसी पर होंगे धीरज जी।