शेर बिल्ली प्रजाति के सबसे बड़े जानवरों में से एक है जिसे अकसर ‘जंगल का राजा’ भी कहा जाता है। शेर किसी समय पूरे अफ्रीका, एशिया और यूरोप में पाए जाते थे लेकिन अब यह दुनिया के केवल दो ही क्षेत्रों में पाए जाते हैं और इन क्षेत्रों के आधार पर ही इन्हें दो उप-प्रजातियों में वर्गीकृत किया गया है। पहले एशियाई शेर जो भारत के गुरजात राज्य के गिर जंगल में रहते है और दूसरे अफ्रीकी शेर जो मध्य और दक्षिणी अफ्रीका में रहते हैं। हालांकि शेरों की यह दोनो प्रजातियां बिलकुल समान दिखती है लेकिन आकार, निवास, आहार आदि मामलों में यह एक दूसरे से बिलकुल अलग हैं।
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शेरों की विशेषताएं
अफ्रीकी शेर अपने सिर से लेकर अपनी पूंछ तक साढ़े 4 से साढ़े 6 फुट तक लंबे होते है। इनकी पूंछ की लंबाई 67 से 100 सेंटीमीटर तक होती है। अफ्रीकी शेरों का वज़न 120 से 191 किलोग्राम तक होता है।
एशियाई शेर जिन्हें भारतीय शेर भी कहा जाता है अफ्रीकी शेरों के मुकाबले ज्यादा बड़े होते हैं। इनका वज़न औसतन 120 से 226 किलोग्राम के बीच होता है। भारतीय शेरों की पूंछ की लंबाई 60 से 90 सेंटीमीटर तक होती है।
नर शेर आमतौर पर मादाओं की तुलना में ज्यादा बड़े होते हैं और उनके सिर के आसपास बालों का एक मुकट सा होता है। शेरों का यह मुकट उन्हें ख़ासा प्रभावशाली बनाता है और ससर्ग के समय मादाओं को रिझाने में उनकी सहायता करता है। इस मुकट की वजह से ही झगड़े के दौरान नर शेरों की गर्दन को चोट लगने की संभावना कम हो जाती है।
निवास-स्थान
अफ्रीकी शेर अंगोला, बोत्सवाना, मोज़ाम्बिक, तंजानिया, मध्य अफ्रीकी गणराज्य, दक्षिण सूडान और उप सहारा अफ्रीका के अन्य भागों में रहते हैं। इन क्षेत्रों में वो खुले घास के मैदानों और जंगलों में रहते हैं।
एशियाई शेर केवल भारत के गुजरात राज्य में स्थित गिर जंगल में पाए जाते हैं। यह जंगल 1,412 वर्गकिलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला है और अब एक wildlife sanctuary बन चुका है । गिर जंगल में घास के मैदान और चट्टानी पहाड़ियां भी पाई जाती हैं।
शेरों का आहार
अफ्रीकी शेर बड़े जानवरों को खाते है जिनमें हिरण, ज़ेबरा और कई तरह के अज़ीब प्राणी शामिल हैं। भारतीय शेर बकरियां, नीलगाय, चित्ताल, सांभर और भैंसो समेत छोटे जानवरों को भी खाते हैं।
शेर जितने भी शिकार करते हैं उनमें से 90 प्रतीशत मादा शेर द्वारा किए जाते हैं।
शेरों का व्यवहार
शेर बहुत ही सामाजिक होते है और समुहों में रहना पसंद करते हैं जिन्हें प्राइड्स कहा जाता है। हांलाकि एशियाई और अफ्रीकी शेरों के समुहों में काफ़ी अंतर होता है।
नेशनल ज्योग्राफिक के अनुसार, अफ्रीकी शेरों के समूह में तीन नर और कई मादाओं समेत उनके बच्चे भी होते हैं। समूह के सदस्यों की गिणती कई बार 40 तक पहुँच जाती है।
भारतीय शेरों के समूह दो तरह के होते है। नर और मादा शेर अलग-अलग समूहों में रहते है और केवल संभोग के समय ही एक साथ आते हैं।
मादा शेर सारी उम्र उसी समूह में रहती हैं जिसमें वो पैदा हुई होती हैं जबकि नर शेर जब बूढ़े होते है तो अपना अलग समूह बना लेते हैं।
संतान उत्पत्ति
तीन से चार साल की उम्र में नर और मादा शेर संभोग के लिए तैयार हो जाते है। एक समूह के शेर और शेरनियां एक समय में ही संभोग करते है।
मादा शेरों की गर्भावस्था अवधि लगभग चार महीने होती है। शेरनी अपने बच्चों को अकेले में जन्म देती है और पहले छह हफ्तें उन्हें दूसरों की नज़र से बचाए रखती है। जन्म के समय शावकों का वज़न मात्र 1.5 किलो होता है और वो पूरी तरह से अपनी मां पर निर्भर होते हैं।
जन्म के छह हफ्तों के बाद नन्हें शेरों का ध्यान पूरे समूह द्वारा रखा जाता है और कभी कभी अगर किसी शेर की मां उससे दूर हो तो समूह की दूसरी मादा शेर उसकी देखभाल करती है।
शेर कितनी बार संभोग करता है?
शेर अपने सामाजिक व्यवहार के लिए जाने जाते हैं, जिसमें एक बहुविवाही संभोग प्रणाली शामिल है। शेर के संभोग की सटीक आवृत्ति कई कारकों के आधार पर भिन्न हो सकती है, जैसे साथी की उपलब्धता और शामिल शेरों की प्रजनन स्थिति।
आम तौर पर, शेर का संभोग कई दिनों के दौरान दिन में कई बार होता है जब मादा एस्ट्रस में होती है, जो कि बढ़ी हुई उर्वरता की अवधि होती है। मादा शेरों का एस्ट्रस चक्र लगभग 4 से 6 दिनों तक रहता है, इस दौरान वह एक या अधिक नर शेरों के साथ कई बार संभोग कर सकती है। मादा शेर के गर्भवती होने के बाद, वह तब तक दोबारा संभोग नहीं करेगी जब तक कि उसके शावक पैदा नहीं हो जाते और स्वतंत्र नहीं हो जाते, जिसमें दो साल तक का समय लग सकता है।
इसलिए, मादा के एस्ट्रस अवधि के दौरान शेर के संभोग की आवृत्ति काफी अधिक हो सकती है, लेकिन वे केवल तभी संभोग करते हैं जब मादा एस्ट्रस में होती है और गर्भ धारण करने में सक्षम होती है।
संरक्षण की स्थिति
बढ़ते शिकार, निवास स्थानों के उजड़ने और बीमारियों की वजह से शेर खतरों का सामना कर रहे हैं जिसकी वजह से इनकी पूरी प्रजाति के विलुप्त होने का ख़तरा मंडरा रहा है।
अफ़्रीकी शेरों की घटती जनसंख्या के कारण इन्हें Red List में सामिल कर दिया गया है। 100 साल पहले अफ्रीका में शेरों की गिणती 2 लाख तक थी, लेकिन अब सिर्फ 20 हज़ार है।
एशियाई शेर जो केवल भारत के गिर जंगल में पाए जाते हैं इनका संरक्षण अच्छी तरह से किया गया है। साल 2010 में इन शेरों की गिणती 411 थी जबकि साल 2015 में बढ़कर 523 पर पहुँच गई है।
शेर से जुड़े रोचक तथ्य
- बाघों के बाद शेर बिल्ली प्रजाति का सबसे बड़ा जानवर है। एक नर शेर का औसतन वज़न 190 किलो होता है जो कि कई बार 250 किलो तक चला जाता है। (जरूर पढ़ें :- शेर और बाघ में क्या अंतर है?)
- शेर की दहाड़ को 8 किलोमीटर दूर से सुना जा सकता है।
- एक शेर का औसतन जीवन काल 10 से 14 साल तक का होता है।
- दुनिया में शेरों की संख्या उतनी नहीं है जितनी कि इनके statues की है।
- शेरों को संस्कृत में सिंह कहा जाता है।
- शेर 80 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से दौड़ सकते हैं और एक बार में 36 फीट लंबी छलांग लगा सकते हैं।
- 2 हजार साल पहले 10 लाख से ज्यादा शेर अफ्रीका, यूरोप, सीरिया, इसराइल, इराक, ईरान और भारत के जंगली इलाकों में घूमा करते थे। लेकिन अब इनकी संख्या घटकर 22 हजार तक रह गई है और यह केवल अफ्रीका और भारत में बचे हैं।
- मादा शेर उन्ही नर शेर के साथ मिलन करना पसंद करती है जिनके लम्बे और गहरे अयाल (गर्दन के बाल) हो।
- आठ में से केवल एक नर शेर ही युवावस्था तक जीवित रह पाता है। इन शेरो के कम उम्र में ही मर जाने का मुख्य कारण उन्हें 2 साल की उम्र ही अपने झुंड से निकाल देना है।
SANJAY says
good job brother nice post
UTKARSH KUMAR SINGH VK says
36 feets!!!!!!!!!!!!!!!!!!! budhdhu to nahi banaa rahe ho bhai?
aisa ho ga to sher to long jump ke champions ho jaenge
Sahil kumar says
You can verify this fact on Internet.
mahtab says
Bhai ye batao sher apni maa k ek hi hota h kya
Sahil kumar says
नही, ज्यादा भी हो सकते हैं।
praduman says
nice yar
ANURAG says
Nice work Sahil
yashdeep vitthalani says
bahut acchi jankari hai aapke website mein