चार्ल्स डार्विन एक महान प्रकृतिवादी वैज्ञानिक थे जिन्होंने क्रमविकास के सिद्धांत को दुनिया के सामने रखा। उन्होंने प्राचीन समय से इंसानों और अन्य जीवों में होने वाले विकास को अपने शोध में बहुत ही आसान तरीके से बताया था।
Table of Contents
चार्ल्स डार्विन का जन्म और माता – पिता
चार्ल्स डार्विन का जन्म 12 फरवरी 1809 ईसवी को इंग्लैंड में हुआ था। डार्विन अपने माता-पिता की पांचवी संतान थे।
डार्विन एक बहुत ही पढ़े – लिखे और अमीर परिवार में पैदा हुए थे। उनके पिता राबर्ट डार्विन एक जाने माने डॉक्टर थे। डार्विन जब महज 8 साल के थे तो उनकी माता की मृत्यु हो गई थी।
शिक्षा – Charles Darwin’s Education
डार्विन 1817 में जब 8 साल के थे तो उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा के लिए एक ईसाई मिशनरी स्कूल में दाखिल करवाया गया था।
एडिनबर्घ मेडिकल युनिर्वसिटी
डार्विन के पिता उन्हें डॉक्टर बनाना चाहते थे इसलिए वो डार्विन को अपने साथ रखने लगे और डॉक्टर बनने की ट्रेनिंग देने लगे। 1825 ईस्वी में जब डार्विन 16 साल के थे तो उन्हें एडिनबर्घ की मेडिकल युनिर्वसिटी में दाखिल करवाया गया।
चार्ल्स डार्विन को मेडिकल में कोई ज्यादा रूचि नहीं थी। वो हमेशा प्रकृति का इतिहास जानने की कोशिश करते रहते। विविध पौधों के नाम जानने की कोशिश करते रहते और पौधों के टुकडो को भी जमा करते।
क्राइस्ट कॉलेज
एडिनबर्ग युनिर्वसिटी के बाद डार्विन को 1827 में क्राइस्ट कॉलेज में दाखिल करवाया गया ताकि वो मेडिकल की आगे की पढ़ाई पूरी कर सके। पर यहां भी उनका मन मेडिकल में कम और प्राकृतिक विज्ञान में ज्यादा लगा रहता।
क्राइस्ट कॉलेज में रहने के दौरान डार्विन ने प्रकृति विज्ञान के कोर्स को भी join कर लिया था। प्रकृति विज्ञान की साधारण अंतिम परीक्षा में वे 178 विद्यार्थियों में से दसवें नंबर पर आए थे। मई 1831 तक वो क्राइस्ट कॉलेज में ही रहे।
HMS बीगल जहाज़ पर समुंद्री यात्रा

जब चार्ल्स डार्विन क्राइस्ट कॉलेज में थे तभी प्रोफेसर जॉन स्टीवन से उनकी अच्छी दोस्ती हो गई थी। जॉन स्टीवन भी डार्विन की ही तरह प्रकृति विज्ञान में रूचि रखते थे।
1831 में जॉन स्टीवन ने डार्विन को बताया कि HMS बीगल नाम का जहाज प्रकृति विज्ञान पर शोध के लिए लंबी समुंद्री यात्रा पर जा रहा है और डार्विन भी में इसमें जा सकते है क्योंकि उनके पास प्रकृति विज्ञान की डिग्री है। डार्विन जाने के लिए तुरंत तैयार हो गए।
HMS बीगल की यात्रा दिसंबर 1831 में शुरू हुई होकर 1836 में खत्म हुई। यात्रा के दौरान जहाज की पूरी टीम दुनिया के कोने – कोने में गई और कई तरह के पौधो के पत्ते और जानवरों की हड्डिया इकट्ठी कीं।
बीगल जहाज़ की यात्रा समय चार्ल्स डार्विन एक छोटे से केबिन के आधे भाग में गुजारा करते थे। उन्हें खोज कार्य के लिए जगह-जगह के पत्ते, लकड़ियाँ, पत्थर,कीड़ों और जीवों की हड्डियां एकत्रित करनी पड़ी। क्योंकि उस समय फोटोग्राफी नही थी इसलिए उन्हें नमूनों को लेबल लगाकर समय-समय पर इंग्लैंड भेजना होता था। उसके लिए उन्हें 10-10 घंटे घोड़सवारी करनी पड़ती और मीलों पैदल चलना पड़ता था।
जब HMS बीगल यात्रा के दौरान डार्विन ने पूरी टीम को फंसने से बचाया
दरासल HMS बीगल यात्रा के दौरान जहाज की पूरी टीम अपना जहाज समुंद्र में खड़ा करके छोटी boats के जरिए एक द्वीप पर पहुँची ताकि वहां से पौधों और जानवरों के नमूनें इक्ट्ठे किए जा सके। तभी गलेशीयर से एक बड़ा सा बर्फ का तोदा अलग होकर समुंद्र में जा गिरा, जिससे एक बड़ी लहर पैदा हुई। तभी डार्विन ने तेज़ी से भागकर boats को किनारे से दूर जाने से बचाया। यदि डार्विन ने ऐसा ना किया होता तो वह और उनके साथी उस टापू पर फस जाते।
डार्विन के इस काम से खुश होकर जहाज़ के कपतान ने उस जगह का नाम ‘Darwin Sound’ रख दिया।
क्रमविकास का सिद्धांत
HMS बीगल की यात्रा के बाद डार्विन ने पाया कि बहुत से पौधों और जीवों की प्रजातियों में आपस का संबंध है। डार्विन ने महसूस किया कि बहुत सारे पौधों की प्रजातियां एक जैसी हैं और उनमें केवल थोड़ा बहुत फर्क है। इसी तरह से जीवों और कीड़ों की कई प्रजातियां भी बहुत थोड़े फर्क के साथ एक जैसी ही हैं।
डार्विन कोई जल्दबाज़ी नहीं करना चाहते थे, उन्होंने HMS बीगल की यात्रा के 20 साल बाद तक कई पौधों और जीवों की प्रजातियां का अध्ययन किया और 1858 में दुनिया के सामने क्रमविकास का सिद्धांत दिया।
क्रमविकास सिद्धातं की मुख्य बातें इस प्रकार है-
1. विशेष प्रकार की कई प्रजातियों के पौधे पहले एक ही जैसे होते थे, पर संसार में अलग अलग जगह की भुगौलिक प्रस्थितियों के कारण उनकी रचना में परिवर्तन होता गया जिससे उस एक जाति की कई प्रजातियां बन गई।
2. पौधों की तरह जीवों का भी यही हाल है, मनुष्य के पूर्वज किसी समय बंदर हुआ करते थे, पर कुछ बंदर अलग से विशेष तरह से रहने लगे और धीरे – धीरे जरूरतों के कारण उनका विकास होता गया और वो मनुष्य बन गए।
इस तरह से जीवों में वातावरण और परिस्थितियों के अनुसार या अनुकूलकार्य करने के लिए क्रमिक परिवर्तन तथा इसके फलस्वरूप नई जाति के जीवों की उत्पत्ति को क्रम – विकास या विकासवाद (Evolution) कहते हैं।
चार्ल्स डार्विन की मृत्यु
19 अप्रैल 1882 वो दिन है जब विज्ञान जगत में तहलका मचा देने वाले चार्ल्स डार्विन की दिल की धड़कन बंद हो जाने के कारण मृत्यु हो गई।
उनकी अंतिम यात्रा 26 अप्रैल को हुई थी जिसमे लाखो लोग, उनके सहकर्मी और उनके सह वैज्ञानिक, दर्शनशास्त्री और शिक्षक भी मौजूद थे।
डार्विन से जुड़े अन्य तथ्य – Charles Darwin Facts
डार्विन अत्याचारों के घोर विरोधी थे। वह मानवों और जीवों के प्रती बेहद सहानभूति रखते थे। जब वह HMS बीगल पर यात्रा कर रहे थे तब उन्हें गुलाम प्रथा बहुत ही अन्यायपूर्ण लगी। जब वह दक्षिणी अफ्रीका में रूके, तब वहां गुलामों की बुरी हालत देख कर बेहद चौंक गए थे। इसका जिक्र वह अपने यात्रा वृत्तांत में भी करते हैं।
चार्ल्स डार्विन की शादी उनकी चचेरी बहन Emma से हुई थी। दोनो की कुल 10 संताने थी। इनमें से दूसरे बच्चे की दस साल की आयु में, तीसरे की महज 22 दिन में और 10वें की दो साल की आयु में मृत्यु हो गई थी।
चार्ल्स डार्विन और अब्राहम लिंकन का जन्म एक ही दिन 12 फरवरी 1809 को हुआ था। जहाँ डार्विन ने मनुष्य के मस्तिष्क को अज्ञानता के अभिशाप से मुक्त कराया तो वहीं लिकंन ने मनुष्य के शरीर को दासता की बेड़ियों से आजा़दी दिलायी।
चार्ल्स डार्विन के अनमोल विचार
“किसी भी महान से महान कार्य की शुरुवात हम से ही होती है और कार्य करते समय हमारा काम में बने रहना बहुत जरुरी है।”
“जो आदमी समय का घंटा बर्बाद करने की हिम्मत रखता है, उसने जीवन के मूल्य की खोज़ ही नहीं की है।”
“जब हम किसी वस्तु का उपयोग बंद कर देते हैं, तब वह वास्तु धीरे-धीरे नष्ट हो जाती है।”
“जब हम सोचते हैं कि हमें अपने विचारों पर नियंत्रण रखना चाहिए, तब हम सबसे विकसित व्यक्ति होते है।”
“यह बहुत बुरी बात होगी कि अगर कोई व्यक्ति अपने आपको काम इतना लीन कर ले, जितना कि मैने किया है।”
Lalit parihar says
Sir kya us safar par hi Darwin ne Darwin finch ko khoja that
Sahil kumar says
उस समय उन्हें इसके बारे में ज्यादा पता नहीं था। Darwin Finch का नाम बाद में उनके नाम पर रखा गया।
Hitesh J Abhani says
Chals darwin ne Dharm(sampraday) church ka bahut hi virodh kiya thha,,,ye diniya kisi ne banai hai(god ne) ,ve vichar ke ve virodhi thhe,,,ye sab apne aap bana hai ,,,our apne aap hi parivartan hota hai…aisa unka khena thha
Ashish says
Ye shbhi jivo ye privatn hota hai kuch jivo hota hai sir
Sahil kumar says
सभी का होता है।
सैफ़ुद्दीन says
Charles Darwin नास्तिक था इसलिए उसने बन्दरों को अपना बाप बताया। उसने इस बात को झुठलाया कि बंदर इंसान से बने।
prashant kumar says
Sahil ji agar vakai inshan bandar the pahale? Agar inshan bandar tha pahle to aaj sabhi bandar (chimpanji) inshaan kyo nahi ban jaate. Do hajar ab tak jitna bhi jyat itihash hai un sab mein ishka vardan kyo nahi milta ki phala inshaan pahle bandar tha phir ushka vikash hua aur vo inshaan ban gaya phir baad mein woh shashak ban gaya. Aur inshaan agar bandar se bane the tab hamare ved shastroin mein ishka vardan kyo nahi milta? Aur jo tab bandar the aaj bhi bandar hai aur bandar rahkar hi wo mar jate hai. Lekin vikash ka shiddhant to yahi batata hai ki agar kaddu katega to sab mein batega yaani ki jaise mobile ki khoj hui aur wo sab mein bata aur aaj sab ke haath mein mobile hai. Ushi tarah agar ko i bandar se inshaan bana to ushi ko dekh kar sab inshan kyo nahi ban jaate? Sahil ji ye kya galat knowledge logoin ko de rahe ho bhai
Sahil kumar says
प्रशांत जी बंदरों के जिन समूहों ने अलग रहना शुरू कर दिया था उनसे ही मनुष्य की उत्तपत्ति हुई है। हो सकता है कि बंदरों और मनुष्यों के पूर्वज भी कोई हों? श्री राम जी की वानर सेना पूरी मानवों की थी जा फिर इंसानों की ?
Balram sahu says
Jis jis bandar ne apne parivartan karne ki kosis ki o babdar ban gaye or
Aj Jo jam bandar dekhate h usaka purvajo ne kosis nahi ki isi karn se se o an bhi bandar ke bandar h
Or pahle jaisa mahol bhi nahi h
Sunny says
hello sir kya aap world’s me feli bimariyo { rog} ke bare me block me likh skte ho
Sahil kumar says
धीरे – धीरे सब बातों के बारे में बताएंगे।
Vinay Gautam says
Nice Story ,
Sir Please me, mera ek blog hai jo maine 28 jan 2027 ko create kiyaa tha tathaa use adsense se bhi
link kara diyaa tha lekin us par abhi tak add show nhin ho rahe hain to sir krapya ye bataayen ki
adsense approve hone ke liye kitne dino kaa samay lagataa hai .
Sahil kumar says
Ad दिखने में 3 से 7 दिन लग सकते है।