धनानंद प्राचीन भारत के नंद वंश का अंतिम राजा था। नंद वंश ने चौथी शताब्दी ईसा पूर्व में उत्तर – पूर्वी भारत के बड़े हिस्से पर राज किया। नंद साम्राज्य उस समय भारत का सबसे बड़ा साम्राज्य था।
नंद वंश के दो सम्राटों की जानकारी मिलती है। पहला महापद्मनंद और दूसरा धनानंद। आमतौर पर यह विवरण मिलता है कि धनानंद महापद्मनंद का पुत्र था पर कई जगह उसे महापद्मनंद का छोटा भाई भी कहा गया है। सभी प्राचीन ग्रंथों से एक बात स्पष्ट होती है कि नंद वंश के राजा नाई जाति के थे।
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धनानंद का इतिहास – Dhananand History in Hindi
महापद्मनंद ने लगभग 345 ईसापूर्व में नंद वंश की स्थापना की थी और उसने लगभग 329 ईसापूर्व तक राज किया। इसके बाद धनानंद मगध की गद्दी पर विराजमान हुआ।
धनानंद का चरित्र
लगभग सभी ग्रंथ यह मानते है कि धनानंद एक अत्याचारी, धन का लोभी और विलासी शासक था जो अपने राज्य की प्रजा के बीच अप्रिय था। धनानंद को धन इकट्ठा करने की आदत थी जिसके कारण लोग उसे ‘धननंद‘ कहने लगे थे।
धन इकट्ठा करने के लिए धनानंद ने अपनी प्रजा पर तरह – तरह के टैक्स लगा रखे थे, यहां तक कि श्मशान घाट में व्यक्ति का अंतिम संस्कार करने के लिए आवश्यक लड़कियों पर भी टैक्स देना पड़ता था। उसके सैनिक लोगों से टैक्स वसूलने के लिए हर तरह के तरीके अपनाते थे।
धनानंद के एक अत्याचारी शासक होने की पुष्टि यूनानी इतिहासकार प्लूटार्क के वर्णन से भी होती है। प्लूटार्क लिखता है कि युवा चंद्रगुप्त एक बार सिकंदर के सामने पेश हुआ था और उसने धनानंद के घटियापन और प्रजा के बीच उसकी अप्रियता के बारे में बताया था।
प्लूटार्क का यह वर्णन बताना इसलिए जरूरी है क्योंकि पिछले कुछ समय से कुछ अराजक तत्व यह सिद्ध करने में लगे हुए है कि धनानंद नाई जाति से था और इसलिए चाणक्य (ब्राह्मण) ने उसे मरवा कर एक क्षत्रिय चंद्रगुप्त को राजगद्दी पर बैठाया। प्लूटार्क ने अपने वर्णन लगभग 2200 साल पहले लिखे है इसलिए उसकी इस बात को झुठलाया नही जा सकता।
धनानंद की 99 करोड़ सोने की मुद्राएं
कथासरित्सागर के अनुसार धनानंद के पास 99 करोड़ सोने की मुद्राएं थी जिसे उसने गंगा नदी की तली में एक चट्टान खुदवाकर छिपा दिया था। भले ही इस बात को थोड़ा सा बढ़ा – चढ़ा कर लिखा गया है, पर फिर भी हमें यह मानना होगा कि धनानंद के पास काफ़ी दौलत थी क्योंकि इसका वर्णन तमिल की एक प्राचीन कविता में भी मिलता है। कविता में वर्णन है कि “पहले वह (स्वर्ण मुद्राएं ) पाटलि (पाटलिपुत्र, पटना) में संचित हुई और फिर गंगा की बाढ़ में छिप गई।”
धनानंद के नाम
धनानंद का यह नाम तो उसके धन के प्रति प्रेम के कारण पड़ा है, पर शायद उस समय उसका असली नाम कुछ और था। यूनानी लेखकों ने वर्णन किया है कि सिकंदर के हमले के समय मगध का राजा ‘अग्रमस्’ अथवा ‘जंड्रमस्’ (Agrammes or Xandrames) था।
‘अग्रमस्’ अथवा ‘जंड्रमस्’ को इतिहासकार धनानंद से ही जोड़कर देखते है क्योंकि ‘अग्रमस्’ शब्द शायद संस्कृत के औग्रसैन्य शब्द का बिगड़ा हुआ रूप है। औग्रसैन्य शब्द का अर्थ है – ‘उग्रसेन का पुत्र’ । उग्रसेन महापद्मनंद का दूसरा नाम है।
धनानंद की सेना
धनानंद को विरासत में एक विशाल राज्य मिला था, सो उसके पास एक बड़ी सेना होना एक स्वाभिक सी बात है। यवन इतिहासकार लिखते है कि धनानंद की सेना में 2 लाख पैदल सैनिक, 20 हज़ार घोड़सवार, 2 हज़ार रथ और 3 हज़ार हाथी थे।
नंदों की इतनी विशाल सेना के बारे में सुनकर भारत पर हमला करने आए सिकंदर के सैनिकों की नींद उड़ गई, अतः उन्होंने पोरस से हुए भयानक युद्ध के बाद आगे बढ़ने से इंकार कर दिया क्योंकि वो नंदों की विशाल सेना से टक्कर लेने में असमर्थ थे।
धनानंद द्वारा चाणक्य का अपमान
सभी प्राचीन ग्रंथ यह मानते है कि चाणक्य और नंदों के बीच खासी दुश्मनी थी। मुद्राराक्षस नाटक से पता चलता है कि चाणक्य को धनानंद ने अपमानित कर राजकीय पद से हटा दिया था जिसके कारण उन्होंने नंद साम्राज्य के विनाश की शपथ ली।
हो सकता है कि धनानंद के मंत्रियों में एक पद आचार्य चाणक्य के पास भी हो और उन्होंने धनानंद की निरंकुशता का विरोध किया हो जिसके कारण धनानंद ने उन्हें अपमानित कर पद से हटा दिया होगा।
धनानंद और चंद्रगुप्त युद्ध
चाणक्य किसी ऐसे व्यक्ति की खोज़ में थे जो धनानंद जैसे अत्याचारी शासक को हटाकर सम्राट बनने के योग्य हो, शीघ्र ही चंद्रगुप्त के रूप में उन्हें एक ऐसा व्यक्ति मिल भी गया।
सिकंदर के जाने के बाद चंद्रगुप्त ने चाणक्य की सहायता से लगभग 324 ईसापूर्व में नंद साम्राज्य के मध्य भाग पर आक्रमण किया पर उन्हें करारी हार मिली। वो नंदों की सेना को कम आंक बैठे थे पर शीघ्र ही उन्हें अपनी गलती का पता चल गया।
चंद्रगुप्त और चाणक्य ने सबसे पहले नंद साम्राज्य के आस – पास के क्षेत्रों को जीतना आरंभ किया। दोनो नें पंजाब के क्षेत्रों से एक विशाल सेना तैयार की, जिसमें संभवत: कुछ यूनानी सैनिक और लुटेरे व्यक्ति भी शामिल थे। यह भी ज्ञात होता है कि चंद्रगुप्त ने धननंद को उखाड़ फेंकने में कश्मीर के राजा पर्वतक से भी संधि की थी। कई इतिहासकार राजा पर्वतक को कोई और नही बल्कि राजा पोरस ही मानते हैं।
जब चाणक्य को लगा कि चंद्रगुप्त पास इतनी सेना हो गई है तो उसने धनानंद के विरुद्ध अभियान आरंभ करने का आदेश दिया। चंद्रगुप्त और धनानंद के बीच हुए युद्ध का कोई स्पष्ट विवरण नही मिलता है। कुछ इतिहासकार मानते है कि चंद्रगुप्त ने धनानंद को हराने के लिए छापामार पद्धति का उपयोग किया और पाटलिपुत्र को घेर कर धनानंद को मार डाला। इतिहासकार यह भी कहते है कि चंद्रगुप्त ने धनानंद को कई अलग – अलग युद्धों में हराया होगा।
एक बौद्ध ग्रंथ के अनुसार धनानंद और चंद्रगुप्त के बीच केवल एक युद्ध हुआ था और यह युद्ध इतना विनाशकारी था कि आने वाले कई सालों तक इससे हुई हानि को पूरा नही किया जा सका।
घनानंद की मृत्यु कब और कैसे हुई
अधिकांश प्राचीन अनुश्रुतियों में यह वर्णन मिलता है कि चंद्रगुप्त ने धनानंद का कत्ल कर दिया था, पर एक ग्रंथ के अनुसार चंद्रगुप्त से युद्ध हारने के बाद धनानंद ने अपनी एक पुत्री दुर्धरा की शादी चंद्रगुप्त से करवा दी और अपनी दो पत्नियों और एक कन्या के साथ पाटलिपुत्र से बाहर चले जाने की अनुमति ले ली। साथ ही, उतनी सम्पत्ति भी उसे अपने साथ ले जाने दी, जितनी कि एक रथ में आ सकती थी।
ज्यादातर इतिहासकार यह मानते है कि चंद्रगुप्त और धनानंद के बीच अंतिम युद्ध 321 ईसापूर्व में हुआ था और कुछ 315 ईसापूर्व के आसपास के समय को सही ठहराते हैं।
घनानंद की पुत्री का नाम
हाल ही में बने कुछ हिंदी धारावाहिकों में धनानंद की पुत्री का नाम धुरधुरा या नंदिनी बताया गया है।
लेकिन हैरानी की बात यह है कि हमारे पास कोई ऐतिहासिक प्रमाण मौजूद नहीं है जो यह इंगित करे कि धनानंद की कोई पुत्री थी।
12वीं सदी में लिखा गया जैन ग्रंथ परिशिष्टपर्वन हमें सिर्फ यह बताता है कि चंद्रगुप्त के पुत्र बिंदुसार की माता का नाम दुर्धरा था। लेकिन हमें इस ग्रंथ में ऐसा कोई विवरण नहीं मिलता, जो यह इंगित करता हो कि धुरधुरा धनानंद की पुत्री का नाम था।
ऊपर हमने जो धनानंद की पुत्री के चंद्रगुप्त के साथ विवाह का विवरण दिया है, वो सिर्फ कुछ इतिहासकारों का अनुमान भर है।
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K singh gondwanshi says
Dhananand gond jati ke the
Manoj hindu says
मुझे इन सारी एतिहासिक जानकारियों की पीडीएफ चाहिए। अगर आप चाहे तो मुझे व्हाट्सअप कर सकते है इस नंबर पे। 96240 77278
ओर अगर डाउनलोड हो सकती ही तो कृपया मुझे बताए केसे डाउनलोड करे।
Sahil kumar says
मनोज जी आप इस पेज को सेव रख सकते हैं। इससे आपको इस जानकारी तक पहुँचने में आसानी होगी।
विश्व जीत कुमार says
हमें आपका आलेख बिलकुल भी पसंद नहीं आया क्योकि झस आलेंख में बहुत सारी बातें गलत लिखी गई है
GABBAR says
आपको कैसे पता की इसमे गलत लिखा हुआ है, इसमे सब सही लिखा हुआ है शायद आपको कहीं से गलत जनकारी प्राप्त हुई है।
Sourabh nandvanshi says
Dhananand ek desh bhakt raja the or chanakya raj dhoroi tha or uska bap bhe in dono ko log bheek bhe nahi date the….
BHAVESH RAJPUT says
Danaanad ek kurru vaykatii tha joo ki usskey pass puure bhrat varash ka niyatrand tha
Chandra gupt usskey vansh kaa nahi tha aur yee baat bilkul galat hh ki danaanand chandra gupt kaa bhai tha….
Singer saurabh says
चन्द्रगुुप्त मौर्य मगध सम्राट महापद्मनन्द और रानी मुरा के ही पुत्र थे
Lokesh sain Nandavanshi says
सही कहा भाई जी अपने
सलीम अहमद says
शानदार प्रस्तुति के लिए आभार आप अमातय राक्षस के बारे मैं
पूरी जानकारी देवे मेरी जानकारी के मुताबिक मगध का सच्चा
सेवक था
Uday raj meena says
Dhurdhra sister of dhanand
किंतु कुछ नाटकों और कहानियों ne bhramit kar diya h
Please iska sahi uttar de
Sahil kumar says
उद्य जी, नाटकों का उद्देश्य मात्र TRP बटोरना होता है, इसलिए वो कहानी को अपने अनुसार बना लेते हैं। इसका डिस्कलेमर वो शो के आरंभ में ही थोड़े समय के लिए, छोटे अक्षरों में दे देते हैं।
Rahul Pahariya says
टी.वी. पर प्रसारित सीरियल अनुसार चंद्रगुप्त मौयर् वंश का था, किंतु आपने चंद्रगुप्ता को महापदमनंद का पुत्र बतायाहै, इसके अतिरिक्त धुरधरा को धनानंद की पुत्री बताया है बताया है जबिक वह उसकी बहन थी। यह स्पष्ट करें क्योंकि मैं इसे पढकर बहुत भ्रमित हँँ स्पष्ट करें।
Sahil kumar says
नमस्कार राहुल जी,
हमने चंद्रगुप्त को महानंद का बेटा बताया है, कहां? कृपा बताएं, किस पैराग्राफ में?
दूसरी बात आपकी सही है, कुछ विवरणों के अनुसार धुरधरा धनानंद की पुत्री ही थी।
Surendra says
क्या धनानंद और चंद्रगुप्त मौर्य भाई थे
Sahil kumar says
जी नहीं।
Lokesh sain Nandavanshi says
मद्रछोड़ एक बार इतिहास पढ़ ले चंद्रगुप्त मौर्य महान राजा महापद्मानंद का 9बा पुत्र था
Kamlesh prasad says
TV serial mein durdhara ko dhananand ki bahan bataya gaya hai Lekin Itihaas kar dhananand ko uski Putri Bata rahe hain kripya spasht Karen
Raja says
चन्द्रगुप्त मौर्य क्षत्रिय था और ये शुद्र दोनो अलग है चन्द्रगुप्त मौर्य के पिता चन्द्रवर्धन मौर्य पिप्पलिवन के शाषक थे
Ajay Pratap Singh Gaharwar says
Mahanand ke antim pradhanmantri ka kya naam tha
Sahil kumar says
शायद वो अमात्य राक्षस ही थे।
ब्रजेश मौर्य says
मौर्य वंश से संबंधित जानकारी में मुद्राराक्षस नामक पुस्तक को किसी प्रकार का आधार नहीं बनाया जा सकता । क्योंकि उसका लेकख एक कट्टर ब्रह्मण विशाखदत्त था जो बौद्ध धर्म से नफरत करता था ,उसने यह पुस्तक मौर्य वंश से ईर्ष्या वश लगभग 900 वर्ष बाद लिखी है ।इस पुस्तक के आधार पर मौर्य वंश पर टीका टिप्पणी करना मूर्खता है ।केवल तात्कालिक बौद्ध ,जैन और विदेशी ग्रन्थों को ही आधार माने ।
Sahil kumar says
देखिए ब्रजेश जी, आपको यह जानकारी कैसी फेसबुक पोस्टों से मिलती है, मुझे नहीं पता। इस तरह से किसी के लिए मन में द्वेष रखना ठीक नहीं। आपकी बात सही हो सकती है कि मुद्राराक्षस में गलत जानकारी हो सकती है। लेकिन इतिहासकार इस तरह की पुस्तकों से बहुत कुछ जान लेते हैं।
सौरभ says
जैन ग्रंथों के आधार पर भी चन्द्रगुुप्त मौर्य, महापद्मनन्द के ही पुत्र ठहरते हैं सच को कब तक छुपाओगे
सतपाल सिंह चावला says
धनानंद एवं चंद्रगुप्त मौर्य के युद्ध का विवरण बताएं
Rohit meena says
हेलो भैया आप इतना सारा आइटम कैसे लिखते हो इतनी नॉलेज तो हमें अदर साइड और विज्ञापनों से न्यूज़ समाचारों में भी देखने को नहीं मिलती वास्तव में आप कमाल हो ऐसी जानकारी जरूरत थी वह हमें इस ब्लॉग के द्वारा मिली है आप परोपकार का काम करने में लगे हुए हो आप ईश्वर की सेवा जनमाध्यम के द्वारा कर रहे हो धन्यवाद थैंक यू
Sahil kumar says
धन्यवाद रोहित मीना जी।
Rohit meena says
ने ताै दुनिया में कोई धनानंद नाम का सम्राट हुआ था ने चंद्रगुप्ता मौर्य जैसा राजा यह सब अफवाह है और अफवाहों से बचने के लिए एकमात्र तरीका है कि प्यास को पूरी तरह से नकार दिया था
Sahil kumar says
कृपा आप अफवाहें मत फैलाइए रोहित जी।
Sanjay bajpai says
Agr yah sab sahi likhte hai to durdhara dhannanad ki bahen thi beti kayese hui
ashutosh Sharma says
LAGTA HAI AARAKSHAN KE KAARAN MEENA TUNE PADHNA CHOD DIYA HAI
DHANANANDA BHI THA OR CHANDRAGUPTA MAYRYA JI BHI HUA HAI
OR 800 YEARS TAK BHARAT PER MAURYA VANSH KA RAAJ THA
JAI HO CHANDRAGUPTA MAHARAJ KI
udit says
mera ek que hai,kya shivaji maharaj maharana pratap ke vanshaj hai?
Sahil kumar says
इसका कोई ठोस प्रमाण नहीं है।
Gaurav says
Dhananand aur porus me yudhh hua tha kya
Sahil kumar says
इतिहास में इसका कोई प्रमाण नहीं है।
Manoj thakur says
Yes i like but want details history of dhananand
Swati says
Aitihaasik ghatanavose mili jankaari ke liye mai bahot aabhari hu aapki. Porus sahi me ek Deshbhakt Raja nai tha yeh jaankar bahut dukh aur hairan hui. Kyuki kaaran yeh hai ki sony tv channel par pichle 1 varsh se Porus ek Deshbhakt Raja hokar gaya hai is prakar kei ghatano se bhare episode dhikhaye ja rahe hai. Kya satya aur kya asatya isaki jaankari sapramaan kahase milegi. Mai swayam itihaas me atyant ruchi rakhti hu, Aur itihas vishay me Post degree kar liyi hai. Parantu isa purv itihaas ki adhiktam jankari abhyaskram me uplabhdh nahi hai. Kya aap pramaan ya proof ke taur par kuch shrot se jaankari karva ke de sakte hai.
ARJUN MAURYA says
THANKS SIR BUT –
MAHAPADMANAND KI MAUT KAISE HUI SIR ? OR SIKANDER KI MAUT KA ASLI KARN
Sahil kumar says
महानंद की मृत्यु प्राकृतिक हुई होगी। सिकंदर के बारे में यहां पढ़ें।
kamal goswami says
Dhananand kya pours ke samksha tha.
Sahil kumar says
जी बिलकुल। पोरस की मृत्यु के कुछ वर्षो पश्चात ही चंद्रगुप्त मौर्य ने धनानंद को हरा डाला था।
Manoj pandey says
Hame thodi ye jankari chahiye ki dhananand me porus ki help ki thi ki nahi
Sahil kumar says
नहीं की थी।
Bhagvati Lal says
वृहद्रथ वंश के बारे मे जानकारी दीजियेगा।
थॅंक्स
Bhagvati Lal says
धनानंद के बारे मे जानकारी बहुत अच्छी लगी। इतनी डिटेल मे पहली बार जानकारी मिली है। धन्यवाद
Vidya says
Kya chandragupt ka unanion ke saath yuddh huwa tha
Sahil kumar says
Unanion कौन?
Vidya says
Mera matlab tha ki sikandar ya uski sena ke saath kabhi chandragupt ka yuddh hua tha ?
Sahil kumar says
नहीं विद्या जी। ऐसा कोई ऐतिहासिक प्रमाण नहीं है जिससे यह पता चले कि एक ऐसा युद्ध हुआ था जिसमें दो सेनाओं में एक का नेतृत्व चंद्रगुप्त और दूसरी का सिकंदर कर रहा हो। हां, सिकंदर को जो पंजाब में हिंदु गणराज्यों के संगठित विरोध का सामना करना पड़ा था, उसमें चंद्रगुप्त और आचार्य चाण्कय की भूमिका जरूर हो सकती है।
Vidya says
अगर युद्ध नहीं हुआ था तो हेलेन चंद्रगुप्त की दूसरी पत्नी कैसे बनी थी ?
Sahil kumar says
वो युद्ध सिकंदर की मौत के 18 साल बाद उसके सेनापति सेल्युकस से हुआ था। यह पढ़ें – सिकंदर के सेनापति सेल्युकस का इतिहास।
mukesh bhoir says
सिकंदर के बाद कुछ वर्षो बाद उसका सेनापती सेल्युकस निकेटर भारत पर आक्रमक करने आया था तब उसका सामना चंद्रगुप्त से हुआ था ।जिसमें चंद्रगुप्त ने उसे पराजित किया था।
H.k says
धनानंद के पत्नि का नाम क्या है?
Sahil kumar says
इसके बारे में कोई स्पष्ट जानकारीन नहीं है हितेश जी।
Jp sain says
Dhananand ka varnan kin grantho m kiya gya h kripya btayen jankari dene ke liye hum aapke dil se aabhari h
Sahil kumar says
मुद्राराक्षस और बौद्ध ग्रंथ मिलिन्दपन्हो के सिवाए कई और ग्रंथ हैं।
True Nation says
chandragupta chatriya tha , Vaishya tha, sudra ya brahman tha, koi vidhwan thik se nahin bata paya abhi tak. Aur Ghananand Sudra Raja tha… Maurya samrajya ka khatma bhi brahman ( pusyamitra Sung) ne kiya tha [ sung vance ki sthapna ] kyonki maurya Budhiston se akarshit ho rahe the…isiliya Sankracharya ne bhi … Baki University ke book mein dekho.. internet mein nahi…
Sahil kumar says
University ki books likhi kinhone hui hai?
mrudula Deshpande says
Very nice
SANJAY KUMAR SEN says
Yes I Like Dhananad History
Vinay Gautam says
I want to know you that are you Hindu or Muslim ? Tell me please Sir, with truthly and honestly.
Thanks You !
Sahil kumar says
I am pure Hindu.
Shubham says
Dhanand ke bare me itne detail me jankari dene ke liye dhanywaad. Aaj se pahle dhannad ke bare me keval thodi jankai thi.Thank you sir.
Tanveer says
Nice post but ek chiz apse kehna chahunga theme apki fast loading nahi hai agr change karenge to ye apke liye kafi better hoga …
Sahil kumar says
तनवीर असल मे थीम तो ठीक है पर कई बार नेट कनेक्शन की वजह से यह समस्या आती है।
Anonymous says
Very nice