आर्यभट भारत ही नही बल्कि प्राचीन विश्व के एक महान वैज्ञानिक और गणितज्ञ थे। आचार्य आर्यभट ने वैज्ञानिक उन्नति में केवन योगदान ही नही दिया बल्कि उसमें चार चांद लगाए।
इस महान वैज्ञानिक का जन्म भारत का स्वर्ण युग कहे जाने वाले गुप्त काल में हुआ था। गुप्त काल में आर्यभट जैसे महान वैज्ञानिको की बदौलत साहित्य, कला और विज्ञान के क्षेत्रों में भारत ने काफी तरक्की की।
अपने जन्मकाल की स्पष्ट सूचना देने वाले पहले भारतीय वैज्ञानिक
आर्यभट ने अपने ग्रंथ आर्यभटीय में लिखा है कि उन्होंने इस ग्रंथ की रचना कलयुग के 3600 वर्ष बीत जाने के बाद की और इसे लिखते समय उनकी आयु 23 वर्ष है। भारतीय कैलंडर के अनुसार कलयुग की शुरूआत 3101 ईसापूर्व को हुई थी, इसका मतलब कि आर्यभट का जन्म 476 ईसवी में हुआ था। इस तरह से आर्यभट अपने जन्मकाल की सुस्पष्ट सूचना देने वाले भारत के पहले वैज्ञानिक थे।
भले ही आर्यभट के जन्म के समय के बारे में स्पष्ट जानकारी है, पर उनके जन्मस्थान के बारे में विवाद है। इतिहासकारों के अनुसार उनका जन्म या तो पटना में हुआ था जा फिर महाराष्ट्र में। भले ही उनके जन्मस्थान के बारे में विवाद हो पर सभी इतिहासकार इस बात पर सहमत है कि उनके ग्रंथ आर्यभटीय से प्रभावित होकर गुप्त राजा बुद्धगुप्त ने उन्हें नालंदा विश्वविद्यालय का प्रमुख बना दिया था।
आर्यभट्ट नही, आर्यभट कहिए
आर्यभट्ट का पूरा नाम क्या है?
कभी-कभी हम आर्यभट को ‘आर्यभट्ट’ नाम से भी संबोधित करते हैं। परन्तु उनका सही नाम आर्यभट था। सबसे पहले डॉ. भाऊ दाजी ने यह स्पष्ट किया था कि उनका वास्तविक नाम आर्यभट है, नाकि आर्यभट्ट। आर्यभट को आर्यभट्ट लिखने के पीछे कुछ विद्वानों का तर्क है कि आर्यभट ब्राह्मण थे, अत: भट्ट शब्द का उपयोग किया जाना चाहिए। परंतु कुछ विद्वान ‘भट’ शब्द का अभिप्राय भूलवश ‘भाट’ समझतें हैं, मगर भट शब्द का वास्तविक अभिप्राय ‘योद्धा’ से है।
वास्तविकता में आर्यभट ने एक योद्धा की ही तरह सदियों से चले आ रहे रूढ़ीवादी विचारों से धैर्यपूर्वक मुकाबला किया था। गौरतलब है कि उनकें ग्रंथ आर्यभटीय के टीकाकारों तथा अन्य पूर्ववर्ती ज्योतिषियों ने उन्हें ‘आर्यभट’ नाम से ही संबोधित किया है।
आर्यभट की रचनाएं (ग्रंथ)
इतिहासकार मानते है कि आर्यभट ने कई ग्रंथो की रचना की थी, परंतु वर्तमान समय में उनके चार ग्रंथ की उपलब्ध है – आर्यभटीय, दशगीतिका, तंत्र और आर्यभट सिद्धांत। आर्यभट सिद्धांत ग्रंथ पूरा उपलब्ध नही है, उसके केवल 34 श्लोक ही ज्ञात है।
आर्यभट का सबसे लोकप्रिय ग्रंथ आर्यभटीय है। इस ग्रंथ को यह नाम आर्यभट ने नही दिया था बल्कि उनके लगभग 100 साल बाद हुए एक भारतीय गणितज्ञ भास्कर ने अपने लेखों में इस ग्रंथ को आर्यभटीय कहा है।
आर्यभटीय में कुल 121 श्लोक है जो चार भागों में विभाजित है – दशगीतिका, गणितपाद, कालक्रिया और गोलपाद।
1. दशगीतिका भाग में सिर्फ 13 श्लोक है। इन श्लोको में ब्रह्म और परब्रह्म की वंदना के बाद सूर्य, चन्द्रमा समेत पहले पांच ग्रहो, हिंदु कालगणना और त्रिकोणमिती की चर्चा की गई है।
2. गणितपाद भाग में कुल 33 श्लोक है। इन श्लोकों में अंकगणित, बीजगणित और रेखागणित पर संक्षिप्त जानकारी दी है।
3. कालक्रिया भाग के 25 श्लोको में हिंदुकाल गणना समेत ग्रहो की गतियों पर जानकारी दी गई है।
4. गोलपाद में 50 श्लोक है जिनमें स्पेस साइंस से जुड़ी जानकारी है। ग्रहों की गतियों और सूर्य से दूरी समेत यह जानकारी दी गई है कि सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण कैसे लगते है।
आर्यभट के गणित और खगोल विज्ञान में 12 महत्वपूर्ण योगदान
1. आर्यभट ने पृथ्वी की परिधि (circumference) की लंबाई 39,968.05 किलोमीटर बताई थी जो असल लंबाई (40,075.01 किलोमीटर) से सिर्फ 0.2 प्रतीशत कम है।
2. आर्यभट ने वायुमंडल की ऊँचाई 80 किलोमीटर तक बताई थी। असल में वायुमंडल की ऊँचाई 1600 किलमीटर से भी ज्यादा है पर इसका 99 प्रतीशत हिस्सा 80 किलोमीटर की सीमा तक ही सीमित है।
3. आर्यभट्ट ने सूर्य से ग्रहों की दूरी के बारे में बताया है। वह वर्तमान माप से मिलता-जुलता है। आज पृथ्वी से सूर्य की दूरी लगभग 15 करोड़ किलोमीटर मानी जाती है। इसे 1 AU ( Astronomical unit) कहा जाता है। आर्यभट्ट के मान और वर्तमान मान इस तरह हैं-
ग्रह – आर्यभट्ट का मान – वर्तमान मान
- बुध – 0.375 AU – 0.387 AU
- शुक्र – 0.725 AU – 0.723 AU
- मंगल – 1.538 AU – 1.523 AU
- गुरु – 4.16 AU – 4.20 AU
- शनि – 9.41 AU – 9.54 AU
4. आर्यभट ने तारों से सापेक्ष पृथ्वी के घूमने की गति को माप कर बताया था कि एक दिन की लंबाई 23 घंटे 56 मिनट और 4.1 सैकेंड होती है जो असल से सिर्फ 0.86 सैकेंड कम है। आर्यभट से पहले भी कई ग्रीक, युनानी और भारतीय वैज्ञानिकों ने एक दिन के समय की लंबाई को बताया था पर वो आर्यभट की गणना जितनी सटीक नही थी।
5. आर्यभट के अनुसार एक साल की लंबाई 365.25868 दिन के बराबर होती है जो कि आधुनिक गणना 365.25636 के लगभग बराबर है।
6. चांद के पूथ्वी के ईर्द – गिर्द चक्कर लगाने की अवधि को आर्यभट ने 27.32167 दिन के बराबर बताया था जो कि आधुनिक गणना 27.32166 के लगभग बराबर है।
7. अंकों को चिन्हों द्वारा लिखना शूरू किया – दोस्तो अक्सर आप ने सुना होगा कि आर्यभट ने जीरो की खोज़ की थी पर आपकी यह जानकारी गलत है। असल में उन्होंने गणनाओं को विशेष चिन्हों द्वारा लिखने की शूरूआत की थी। उनसे पहले किसी लेख में गणनाओं को शब्दों में लिखा जाता था (जैसे कि एक, दो , तीन , गयारा, पंद्रा, बीस आदि) पर उन्होंने गणनाओं को आधुनिक नंबर सिस्टम में लिखना शूरू किया ( जैसे कि 1, 2, 3, 11, 15 , 20 etc.) । (यहां पर ध्यान दें कि 1,2,3 अंग्रेज़ी चिन्ह है जबकि आर्यभट ने किन्हीं और चिन्हों का प्रयोग किया था जिनके बारे में अब पता नही।)
8. आर्यभट ने केवल यह ही नही बताया कि सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण क्यों लगते है बल्कि ग्रहण लगने का समय निकलने का फार्मूला भी बताया । उन्होंने ग्रहण कितनी देर तक रहेगा इस बात का पता करने का भी फार्मूला दिया था।
9. आर्यभट ने पाई की वेल्यू दशमल्व के चार अंकों (3.1416) तक सही बताई थी।
10. आर्यभट ने ही त्रिकोणमिती (Trigonometry) के Sin और Cosine की खोज़ की थी। आर्यभट ने इन्हें ‘ज्या’ और ‘कोज्या’ कहा है। ( Cosine कोज्या का ही बिगड़ा हुआ रूप है। ) इस का मतलब है आज पूरी दुनिया में जो त्रिकोणमिति पढ़ाया जाता है, वास्तविकता में उसकी खोज आर्यभट ने की थी।
11. आर्यभट ने ब्रम्हांड को अनादि-अनंत माना। भारतीय दर्शन के अनुसार अग्नि, जल, वायु, पृथ्वी और आकाश इन पांच तत्वों के मेल से इस सृष्टी का सृजन हुआ है। परन्तु आर्यभट ने आकाश को तत्व नही माना।
12. आर्यभट ने उस समय की प्रचलित अवधारना को रद्द कर दिया कि पृथ्वी इस ब्रह्मांड के केंद्र में है। आर्यभट के अनुसार सूर्य सौर मंडल के केंद्र में स्थित है और पृथ्वी समेत बाकी ग्रह उसकी परिक्रमा करते है।
तो दोस्तो यह था हमारे प्राचीन भारत और महावैज्ञानिक आर्यभट का कमाल जिनकी वजह से हम कह सकते है कि हमारे भारत ने दुनिया को केवल जीरो ही नही दी बल्कि और भी बहुत कुछ दिया है।
आर्यभट को महासम्मान
दोस्तो, भारत के इस महान सपूत को भारत ने ही नही बल्कि पूरी दुनिया ने भरपूर सम्मान दिया है। भारत ने अपने पहले उपग्रह का नाम आर्यभट रखा जिसे 19 अप्रैल 1975 को अंतरिक्ष में छोड़ा गया। भारत दुनिया पहला ऐसा देश है जिसने अपने पहले उपग्रह को किसी काल्पनिक देवी-देवता का नाम नही दिया, बल्कि अपने एक महान गणितज्ञ का नाम दिया।
साल 1976 में अर्न्तराष्ट्रीय संस्था यूनेस्को ने आर्यभट्ट की 1500वीं जयंती मनाई थी। चन्द्रमा पर उपस्थित एक बड़ी दरार (गड्डे) का नाम आर्यभट रखा गया है। ISRO द्वारा वायुमंडन की समताप मंडल परत में खोज़े गए जीवाणुओं में से एक प्रजाति का नाम ‘बैसिलस आर्यभट’ रखा गया है। नैनीताल के निकट स्थित एक वैज्ञानिक संस्थान का नाम आर्यभट के सम्मान में ‘आर्यभट प्रेक्षण विज्ञान अनुसंधान संस्थान’ रखा गया है।
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दोस्तों भारत के इस महान वैज्ञानिक आर्यभट्ट के बारे में औरों को भी पता चलना चाहिए, इसलिए इस पोस्ट को जरूर शेयर कीजिएगा।
Indrachand says
Thankyou सर आपका अनुभव बहुत अच्छा है आपने भारत के महान महापुरष आर्यभट के बारे मेँ बहुत अच्छा बताया |
Santosh kumar das says
Jakash bhai
Shubham vishwakarma says
Bahot sari jankari Mili thanks
salim shaikh says
Bahut ache jankari hai, but muze ek dought hai ku ki maine kahi padha tha ki 0 ki khoj aryabhat ne hi ki thi to asal sach kya hai ….?
Sahil kumar says
जी नहीं। उन्होंने जीरो की खोज़ नहीं की थी। बल्कि उन्होंने जीरो के चिन्ह की शुरूआत की थी।
Koushik biswas says
THANK YOU FOR YOUR HELP
BECAUSE I KNOW THIS MATTER
I READ IT
Omprakash bhunwal says
Very nice …..
To fir sir “0” ki khoj kisne ki …….Please fast answer sir…
Sahil kumar says
इसका कोई पक्का प्रमाण नहीं है, ओमप्रकाश जी। लेकिन खोज़ भारत में ही हुई थी, यह बात सही है।
Yash choudhary says
Thank you so much
Shail Kumar ji….
BHUPENDRA SINGH says
Very interesting,and useful
AloneWorld says
बहुत ही अच्छी जानकारी, हमें हमारे भारतीय होने का गर्व है .
Ramesh Jawrani says
हां
Rishabhmishra says
Nice bhai
M.L.Gupta says
I chanced upon this blog though I was looking for something else, but I could not leave before going through the whole aticle and even comments. Wonderful. Very well written. I would have preferred to comment in Hindi, but the computer does not help as it does for Roman script. But you deserve my heartiest congratulations and generous thanks. Keep it up.
Sahil kumar says
Thanks for your valuable comment.
M salman says
Hindi international language hai ise read karne sabit ho gya.
इन्द्रजीत साहनी says
Mughe padh kar acha laga thanks apka
Mohd adil says
Thanks impressive very impressive information
Savita soni says
Dhanywad
Chandan Chauhan says
Nice
Satish says
bhut khoob bhaai ji ,aap itna accha content laate kaha se hai
Prabhakar Dev says
Acharya aryabhatt ke bare me aaj bhut kuchh pata chla jitna ki pahle de v pata nhi tha.thanks.
pankaj says
Mindbloing history…..!!!
Anmol sirohi says
Sir u.p ke bare me kuch intresting facts Bataiye
Sahil kumar says
जरूर बताएंगे।
Ketan Parmar says
Bahut hi achhi aur intresting
Jankari hai, aur sari batein
bahut useful bhi hai
Abhimanyu Biswas says
Hi… Bro.. Muje b center of gravity Ki bare me janna hai… Details…. Or pisha ka minar ke bare….
Mukesh Kumar Bibhar says
Bohat achha h
Padh k maja aa gaya
kadamtaal says
Very very informative… thanks for sharing
Anilyadav says
Nice bro
Tanveer says
okh bro….aap kis kis ki ads use karte ho apne blog me
Sahil kumar says
Google और Adnow की।
Tanveer says
Bro aapki madad chahiye
Maine adsense ko apply kiya jise adult content found keh kar approve nahi kiya jab ki mere site me 1 word bhi aisa nahi hai aur na hi waisi koi pic…
Ap check kr sakte ho mere site ko…ab jab kuch aisa hai hi nahi to thik kya karu ab approval lene ke lie mujhe kya krna hoga
Sahil kumar says
असल में तनवीर जी आपका काफी सारा कंटेट ऐसा है जिसे गूगल allow नही करता, जो कहानियां आप डालते है वो गूगल की प्राओरटी नही है। आप एडनाओ का उपयोग कीजिए।
Devraj says
Sir WWE ke bare me bataiye
Tanveer Hussain says
Bahot hi useful and cool information share kiya hai apne..