साल 1965 का भारत पाकिस्तान युद्ध उन लड़ाइयों का नाम है जो दोनों देशों के बीच अगस्त 1965 से सितंबर 1965 के बीच हुई थी। इस युद्ध को कश्मीर का दूसरा युद्ध भी कहते है क्योंकि सन 1947 के बाद पाकिस्तान ने कश्मीर को हथियाने के लिए दूसरी बार भारत पर हमला किया था। पर भारत ने इस हमले का मुंह तोड़ जवाब दिया और पाकिस्तान को युद्ध विराम के लिए राज़ी होने पर मजबूर कर दिया।
आज इस युद्ध से जुड़ी पूरी जानकारी हम आपको सिर्फ 5 मिनट में देंगे।
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1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध का कारण था?
1947 की आजादी के बाद दोनो देशों के बीच कश्मीर मुद्दे के सिवाय ‘कच्छ के रण’ की सीमा का विवाद भी था। कच्छ का रण गुजरात में स्थित है और यह एक दलदली और बंजर इलाका है। पाकिस्तान इसके एक बड़े हिस्से पर अपना हक मानता था।
अप्रैल 1965 में कच्छ के रण में पाकिस्तान ने जानबूझकर झड़पे शुरू कर दी। पाकिस्तान ने इसे ऑपरेशन ‘डेजर्ट हॉक‘ नाम दिया। 1 जून 1965 को इंग्लैंड के प्रधानमंत्री ने दोनो पक्षो के बीच लड़ाई को रूकवा दिया।
ऑपरेशन जिब्राल्टर
कच्छ के रण की झड़पों से उत्साहित होकर पाकिस्तान के राजनेताओ ने पाकिस्तान के राष्ट्रपति और सेनाध्यक्ष अयूब ख़ान पर दबाव डाला कि वो कश्मीर पर हमले का आदेश दे। अपने नेताओं के कहने पर अयूब ख़ान ने गुप्त सैनिक अभियान ऑपरेशन जिब्राल्टर का आदेश दे दिया जिसका उद्देश्य भारतीय कश्मीर में विद्रोह भड़काना था।
पाकिस्तान के भारत पर हमला करने के कुछ और कारण भी थे, जैसे कि 1965 से पहले 1962 में भारत चीन से जंग हार चुका था और पाकिस्तान को अमेरिकी गुट में शामिल होने के कारण उससे काफ़ी तरह के आधुनिक हथियार मिल चुके थे जबकि भारत को किसी देश का साथ नही था।
पाकिस्तानी सैनिकों की कशमीर में घुसपैठ और भारत का जवाब
ऑपरेशन जिब्राल्टर के तहत 5 अगस्त 1965 को पाकिस्तान के 25 से 30 हज़ार सैनिक कश्मीर के स्थानीय लोगों के कपड़े पहन कर भारत के कश्मीर में घुसे ताकि वहां कि लोगों को भड़का सकें। भारतीय सेना को जब इसका पता चला तो उन्होंने तुरंत पाकिस्तानी सेना को खदेड़ना और गिरफ्तार करना शुरू कर दिया।
15 अगस्त को भारतीय सेना ने पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर में हमला बोला, 28 अगस्त तक भारत पाकिस्तानी कश्मीर के 8 किलोमीटर अंदर तक घुस चुका था और भारत ने हाजी पीर दर्रे पर कब्जा कर लिया था। पाकिस्तान का ऑपरेशन जिब्राल्टर फेल हो गया। उधर भारतीय सेना पाकिस्तानी कश्मीर के महत्वपूर्ण शहर मुजफ्फराबाद के सिर पर आ पहुँची थी।
पाकिस्तान का ग्रैंड स्लैम और भारत का लाहौर पर हमला
मुजफ्फराबाद पर दबाव कम करने के लिहाज़ से 1 सितंबर 1965 को पाकिस्तान ने ऑपरेशन ग्रैंड स्लैम शुरू किया जिसका उद्देश्य जम्मू और कश्मीर के शहर अखनूर पर कब्जा कर कश्मीर का भारत से संपर्क तोड़ना था, ताकि मुजफ्फराबाद के लिए लड़ रहे भारतीय सैनिकों की रसद और संचार व्यवस्था को रोक दिया जाए।
ऑपरेशन ग्रैंड स्लैम का प्रभाव कम करने के लिए प्रधानमंत्री श्री लाल बहादूर शास्त्री जी का आदेश पाकर भारतीय सेना ने 6 सितंबर को पंजाब से नया मोर्चा खोल दिया तांकि लाहौर पर कब्जा किया जा सके। लाहौर पर हमले की खब़र सुनते ही कश्मीर में लड़ रही पाकिस्तानी सेना लाहौर को बचाने के लिए निकल पड़ी, कश्मीर में पाकिस्तान का प्रभाव कम होने के साथ ही उसका ऑपरेशन ग्रैंड स्लैम भी फेल हो गया।
भारत की सियालकोट और पाकिस्तान की खेमकरण में असफलता
लाहौर वाले ऐरिया में पकड़ मज़बूत करने के बाद भारत ने पाकिस्तान के सियालकोट पर हमला कर दिया पर इस अभियान में भारत को सफलता नही मिल पाई। उधर पाकिस्तान ने अमृतसर पर कब्ज़ा करने के लिहाज़ से खेमकरण सेक्टर पर हमला कर दिया। खेमकरण के असल उत्तर (असल उताड़) गांव में भयंकर लड़ाई हुई जिसमें पाकिस्तान हार गया। असल उत्तर की लड़ाई में पाकिस्तान के पास 200 से ज्यादा अमेरिकी पैटन टैंक थे, पर उनमें से 100 से भी ज्यादा भारत द्वारा नष्ट कर दिए गए। असल उत्तर की इसी लड़ाई में ही वीर अब्दूल हमीद पाकिस्तान के तीन टैंक तबाह करके शहीद हो गए थे।
युद्ध विराम की घोषणा
UN द्वारा दोनो देशों पर युद्ध रोकने का दबाव बढ़ता ही जा रहा था, भारत युद्ध विराम के लिए राज़ी था पर लड़ाई तब तक नही रोकी जब तक कि पाकिस्तान भी इसके लिए राज़ी ना हो गया।
अंत दोनो देश 22 सितंबर को युद्ध विराम के लिए राज़ी हो गए। 23 सिंतबर की सुबह 3 बज़े शास्त्री जी ने देशवासियों को युद्ध बंद होने की जानकारी दी।
ताशकंद समझौता
युद्ध विराम के बाद जनवरी 1966 में रूस के ताशकंद शहर में दोनो देशों का समझौता कराया गया जिसके तरह दोनो देशों को एक दूसरे की जीती जमीन वापिस करनी थी। शास्त्री जी जीती हुई जम़ीन वापिस करने को तैयार नही थे पर बड़ी शक्तियों के दबाव में उन्हें मजबूरन इस समझौते पर दस्तख़त करने पड़े। इस समझौते के कुछ घंटे बाद ही उनकी दुःखद मृत्यु हो गई।
युद्ध से जुड़ी कुछ और बातें
1. ताशकंद समझौते के तहत फरवरी 1966 तक दोनो देशों की सेनाएं अपनी अपनी जमीन पर वापस चली गई थी।
2. युद्ध में भारत ने पाकिस्तान के 720 वर्गकिलोमीटर के इलाके पर जबकि पाकिस्तान ने भारत के सिर्फ 210 वर्ग किलोमीटर के इलाके पर कब्ज़ा किया था। भारत के कब्जे में सियालकोट, लाहौर और कश्मीर के उपजाऊ इलाके थे औ पाकिस्तान के कब्जे में सिंध और छेब के रेतीले और पथरीले इलाके थे।
3. इस युद्ध में पहली बार दोनों देशों की हवाई सेनाओं ने भी भाग लिया था, जिन्होंने एक दूसरे का बराबर-बराबर का नुकसान किया था। पाकिस्तान के पास अमेरिका के दिए हुए जहाज़ थे और भारत के पास रूस और युरोपियन देशों के ख्रीदे हुए जहाज़ो का मिला-जोड़ा बेड़ा।
Manish says
Wo Abdul Hamid nahi tha balki haryana ke bhiwani ke ak jaabaj tha
Deepak kumar says
Sahi hai bhai maja aa gaya
Ankit says
Sir niche diye hue questions pe click karte he apka new blog open ho jata hai, jis se ham log es post ko read karne ke bhad us page pe pauch ke usko read karne lagte hai, tho sir apne es tarha se kese ek page ko dusre page se link kiya hai? Please tell me,,
Kyunki mene bhi blogging start kiya hu but ye muje nai pata hai,, tho ap bata sakte hai
Sahil kumar says
यह तो ब्लॉगिंग का बेहद आसान चीज़ है। आप ब्लॉगिंग में आगे बढ़ते जाइए। आपको ऐसी चीजें, पता लगती रहेंगी।
Tabrej alam says
Sahil Sir aap koi book likhe hai ki nahi agar likhe hai to please bataiye book name
Sahil kumar says
जी नहीं तबरेज जी, मैंने कोई किताब नहीं लिखी है।
प्रताप सिंह says
साहिल जी बहुत अच्छी ज्ञान वधर्क वेब साईट है और काफी रोचक
ankit kumar says
nice post
ankit kumar says
bahut hi achchhi jankari, thsnks sir
Anil Solanki says
kargil war ke bare me info. Milwgi kya?
Sahil kumar says
आगे जरूर पोस्ट की जाएगी।
Anuj says
Sahil hi.. Agar bura na mane to..kya mujhe aapka phone no. Mil sakta h..
Sahil kumar says
क्षमा कीजिए हम अपना नंबर नही दे सकते। आप हमारी ईमेल पर संपर्क कर सकते है। bloggersahil@gmail.com
Anuj says
1971 me Hindustan aur Pakistan yudh ke bare me jankari mil Sakti hai…
Sahil kumar says
आने वाली पोस्टों में इसकी जानकारी जरूर दी जाएगी अनुज जी।