
वायुमंडल में मौजूद हवा का अपना भार है। पृथ्वी अपने गुरुत्वाकर्षण के कारण इस वायु को अपने ओर खींचती है। इस तरह से वायुमंडल की ऊपरी हवा की परतों का दबाव नीचे पड़ता है। यह जो दबाव ऊपर से नीचे आते आते पृथ्वी की सतह पर पड़ता है उसे वायुमंडलीय दबाव जा वायुदाब कहते हैं।
समुद्र की सतह के एक वर्ग सेंटीमीटर पर 1.053 किलोग्राम वायुदाब होता है।
वायुदाब को बैरोमीटर (Barometer) नामक यंत्र द्वारा मापा जाता है।
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वायुमंडलीय दबाव को प्रभावित करने वाले तत्व – Elements Affecting Atmospheric Pressure
वायुमंडलीय दबाव जा वायुदाब पृथ्वी के सभी क्षेत्रों में एक जैसा नही है और ना ही ज्यादातर क्षेत्रों में सारा साल एक जैसा रहता है।
इसके तीन कारण हैं – ऊँचाई (Height), तापमान (Temperature), और गुरुत्वाकर्षण बल (Gravitational Pull)
Height
- ऊँचाई बढ़ने के साथ ही वायुदाब घटता जाता है क्योंकि भारी वायु की परतें नीचे रह जाती हैं।
- 5.4 किलोमीटर की ऊँचाई पर वायुदाब आधा रह जाता है और 11 किलोमीटर की ऊँचाई पर 25 प्रतीशत ही रह जाता है।
- लगभग 25 किलोमीटर के बाद वायुदाब ना के बराबर रह जाता है।
Temperature
- जिस स्थान पर तापमान ज्यादा होता है वहां पर हवा गर्म होकर फैल जाती है जिस के कारण वहां कम वायुदाब होता है।
- इसके विपरीत जहां पर तापमान कम होता है वहां पर हवा का घनत्व(Density) ज्यादा होता है जिसके कारण वायुदाब भी ज्यादा होता है।
- सर्दियों के मौसम में वायुदाब ज्यादा और गर्मियों के मौसम में कम होता है।
- भू – मध्य रेखा पर सूर्य की किरणें सारा साल सीधे पड़ने के कारण तापमान ज्यादा होता है जिसके फलस्वरूप भू-मध्य रेखीय क्षेत्रों में वायुदाब कम रहता है। ध्रुवों पर इसका उल्टा है।
Gravitational Pull
- सभी वस्तुओं का भार गुरुत्वाकर्षण बल के कारण होता है, वायुदाब का भार भी गुरुत्वाकर्षण के कारण ही होता है।
- तापमान के सिवाए भू-मध्य रेखा पर वायुदाब कम और ध्रुवों पर ज्यादा होने का कारण गुरुत्वाकर्षण बल भी है। ध्रुव पृथ्वी के केंद्र के ज्यादा करीब है जिसके कारण वहां पर गुरुत्वाकर्षण ज्यादा है और भू-मध्य रेखीय क्षेत्र पृथ्वी के केंद्र से दूर है जिसके कारण वहां पर गुरुत्वाकर्षण कम है।
दाब कटिबद्ध – वायुदाब पेटियां – Pressure Belts

पृथ्वी पर सभी जगह तापमान एक जैसा ना होने के कारण अलग-अलग वायुदाब के क्षेत्र बन जाते हैं। इन वायुदाब के क्षेत्रों को Pressure Belts/दाब कटिबद्ध जा वायुदाब पेटियां कहते हैं। यह वायुदाब के क्षेत्र भू-मध्य रेखा से दोनों गोलार्ध में अक्षांशों(Latitudes) अनुसार हैं।
मुख्य रूप से चार वायुदाब पेटियां हैं।
1. Equatorial Low Pressure Belt (0° – 5° अक्षांश)
(भू-मध्य रेखिए जा विषुवतरेखीय निम्न वायुदाब की पेटी)
2. Subtropical High Pressure Belt (30° – 35° अक्षांश)
(उपोष्ण कटिबद्धय उच्च वायुदाब पेटी)
3. Sub Polar Low Pressure Belt (60° – 65° अक्षांश)
(उपध्रुवीय निम्न वायुदाब पेटी)
4. Polar High Pressure Belt (80° – 90° अक्षांश)
(ध्रुवीय उच्च वायुदाब की पेटी)
भू-मध्य रेखिए जा विषुवतरेखीय निम्न वायुदाब की पेटी – Equatorial Low Pressure Belt
- यह पेटी भू-मध्य रेखा से 5° उत्तर और 5° दक्षिणी अक्षांशो तक फैली हुई है।
- हम पहले भी बता चुके हैं कि सारा साल सूर्य की किरणेंं सीधी पड़ने के कारण यहां पर वायुदाब अक्सर कम रहता है।
- इस पेटी में हवाएं शांत तरीके से चलती है जिसके कारण इसे शांत हवाओं की पट्टी (Doll Drums) भी कहते हैं।
- इस पेटी में वाष्पीकरण ज्यादा होने के कारण वायुमंडल में नमी(Humidity) ज्यादा होती है जिसके कारण जलवायु आरामरहित (Restless) रहता है।
उपोष्ण कटिबंधीय उच्च वायुदाब पेटी – Subtropical High Pressure Belt
यह वायुदाब पेटी दोनो गोलार्ध में 30° से 35° अक्षाशों के बीच स्थित हैं। इस पेटी में वायुदाब ज्यादा होता है।
(अब जरा ध्यान से पढ़िए)
इस पेटी में वायुदाब ज्यादा होने का कारण है कि-
- भू-मध्य रेखीय कम दबाव वाली पेटी पर जो हवा गर्म होकर ऊपर उठती है वह ऊपर उठकर ठंडी और भारी हो जाती है।
- यह ठंडी और भारी हवा पृथ्वी की दैनिक गति के कारण उत्तरी और दक्षिणी अक्षाशों की ओर चल पड़ती है।
- जब हवाएँ दोनो गोलार्ध के 30° से 35° अक्षाशों पर पहुँचती है तो वह तेज़ी से नीचे उतरना आरंभ कर देती है।
- जब यह ठंडी और भारी हवाएँ इस पेटी में पहुँचती है तो यहां वायुदबाव ज्यादा बन जाता है।
उपध्रुवीय निम्न वायुदाब पेटी – Sub Polar Low Pressure Belt
यह पट्टी दोनो गोलार्ध में 60° से 65° अक्षाशों तक फैली हुई है इनमें वायुदाब कम रहता है।
इस पेटी में कम वायुदाब होने के कारण हैं –
- उपध्रुवीय पेटी को ज्यादा दबाव वाली पेटियों उपोष्ण और ध्रुवीय पेटी ने घेर रखा है इसलिए इनके बीच में कम दबाव वाली पेटी होना स्वाभाविक है।
- इस पेटी के अक्षाशों वाले क्षेत्रों में जल और थल भागों के बटवारे में बहुत ज्यादा अंतर है। उत्तरी अक्षाशों वाले क्षेत्रों में थल भाग ज्यादा है जबकि दक्षिणी अक्षाशों वाले क्षेत्रों में जल भाग ज्यादा है।
- पृथ्वी की दैनिक गति के कारण हवा ध्रुवों से हटने लगती है पर ध्रुवों पर ज्यादा ठंड होने के कारण वहां पर कुछ खास प्रभाव नही पड़ता। पर इसका असर उपध्रुवीय क्षेत्रों पर पड़ता है जिसके कारण वहां पर हवा का दबाव कम हो जाता है।
- यह पेटियां दक्षिणी गोलार्ध में ज्यादा विकसित होती है क्योंकि वहां केवल ज्यादातर जल भाग है। उत्तर गोलार्ध में महाद्वीपों की पर्वतों जैसी अड़चनों के कारण यह पेटी वहां पर ज्यादा विकसित नही हो पाती।
ध्रुवीय उच्च वायुदाब की पेटी – Polar High Pressure Belt
ध्रुवी क्षेत्रों में सारा साल तापमान ज्यादा रहने के कारण यहां पर सदा उच्च वायुदाब रहता है।
वायुदाब पेटियों का खिसकना – Shifting of Pressure Belts
वायुदाब पेटियों की जो स्थिति ऊपर बताई गई है वह औसतन है। गर्मियों – सर्दियों में यह ऊपर नीचे खिसकती रहती हैं।
- जून के महीने में जब सूर्य की किरणें कर्क रेखा (Tropic of Cancer) पर सीधे पड़ रही होती है तो सभी पेटियां 5 से 10 डिग्री अक्षांश ऊपर खिसक जाती हैं।
- इसके विपरीत जब दिसंबर महीने में सूर्य की किरणेंं मकर रेखा (Tropic of Capricorn) पर सीधी पड़ती है तो वायुदाब पेटियां 5 से 10 डिग्री दक्षिण में खिसक जाती हैं।
vikas maurya says
very very very……….. nice aap se daily kaise learn kar sakte hai please told me
Koushal Kumar says
Bahut aacha I like it have you any video for geography
Vipin verma says
Very nice study matterial
Sagarwakdikar says
Very useful information…
Krishan says
Very nice & simply
akash thakur says
Good for geography best of luck dude
Anil Kayat says
Nice Bhai aase video or bejo bro Geo.ke bare m
Akhil Sukumar Kasana says
बेहतरीन जानकारी, ऐसी जानकारी बहुत मददगार साबित होती है, साहिल महोदय आपका आभार!
Shikha says
Sir content bahut acha hai it is very helpful for my studies , kya ap bata sakte hai ki content copy kaise kar sakte h kyuki content protected hai..
Sahil kumar says
Sorry Shikha ji, Aap content ko copy nahi kar sakti. Aap page ko bookmark kar sakti hai.
Badal Kumar says
Hello, Sir
What you told about atmospheric pressure is very good…
Shivam patel says
Nice
Rambhagatjalhndra says
V gud sir JI
Naveen Sharma says
Dear Sahil Sir, ye bahut hi badiya h or vo bi Hindi me.
Kya aap mujhe bta sakte hein ki biometric pressure ko keise calculate karte h
Sahil kumar says
नवीन जी पहले तो पोस्ट को पसंद करने के लिए धन्यवाद, उसके लिए बैरोमीटर को उपयोग करना पड़ता है। रीडिंग उस पर ही लिखी होती है। वह मिलीबार में बताता है।
Amul Sharma says
very nice information…….super knowledge for geography students……thanks for share……
Kuldeep Vishnoi says
bhai aapka google adsense account hosted h ya non hosted…
admin says
कुलदीप भाई सिंपल है – नार्मल खाता या नॉन-होस्टेड खाता