कोलंबस वो व्यक्ति हैं जिन्होंने युरोप के लोगों को सबसे पहले अमेरिकी द्वीपों से परिचित करवाया था। अमेरिकी द्वीपों की खोज़ के बाद युरोप के अलग – अलग देशों में अमेरिकी क्षेत्रों को उपनिवेश बनाने की होड़ मच गई थी और कालांतर बड़ी तादाद में युरोपीयन लोग अमेरिकी द्वीपों पर जाकर बस गए।
क्रिस्टोफर कोलंबस का जन्म 1451 ईसवी में जिनोआ में हुआ था। उनके पिता जुलाहे थे। कोलंबस का एक भाई भी था।
बचपन में कोलंबस अपने पिताजी के काम में उनकी मदद किया करते थे, पर आगे चलकर उन्हें समुंद्री यात्रा का चस्का लग गया। अपनी मेहनत और लगन के बल पर उन्होंने नौकायन का अच्छा ज्ञान प्राप्त कर लिया और इसे अपना रोज़गार बना लिया।
Contents
- कोलंबस के समय बंद हो गया था युरोप से भारत आने वाला ज़मीनी रास्ता
- जरूरी हो गया था भारत का नया रास्ता खोज़ना
- समुंद्री यात्रा पर जाने से पहले कोलंबस को आई कई मुश्किलें
- 3 अगस्त 1492 को शुरू हुई कोलंबस की भारत खोज़ यात्रा
- स्पेन के राजा ने कोलंबस को ढुंढे हुए प्रदेशों का गवर्नर बनाया
- कोलंबस का काला और क्रूर सच
- कोलंबस ने बदल दिया इतिहास का रूख
कोलंबस के समय बंद हो गया था युरोप से भारत आने वाला ज़मीनी रास्ता
कोलंबस के समय युरोप के व्यापारी अपना माल भारत और अन्य एशिआई देशों को बेचा करते थे और वापिस जाते समय वहां के मसालों के पदार्थ युरोप में लाकर बेचते थे।
युरोप और भारत के बीच व्यापार ज़मीन के रास्ते होता था। युरोपीय व्यापारी तुर्कस्तान, इरान और अफ़गानिस्तान के रास्ते होते हुए भारत आते थे। पर 1453 ईसवी में इस सारे क्षेत्र पर तुर्कानी साम्राज्य स्थापित हो गया और उन्होंने यह रास्ता युरोपियन व्यापारियों के लिए बंद कर दिया था क्योंकि युरोपियन लोग इसाई थे और तुर्कानी मुसलमान।
जरूरी हो गया था भारत का नया रास्ता खोज़ना
भारत जाने वाला रास्ता बंद हो जाने से युरोपियन व्यापारी बहुत परेशान हो गए और नया रास्ता ढुंढना बहुत जरूरी हो गया।
एक दिन कोलंबस के मन में विचार आया कि समुंद्र के रास्ते भारत जाया जा सकता है। उस समय अधिकतर युरोपियन यह मानते थे कि पृथ्वी टेबल की तरह चपटी है और समुंद्र की सीमा पर आकर खत्म हो जाती है। पर कोलंबस का मानना था कि पृथ्वी गोल है और अगर पानी के रास्ते पश्चिम की तरफ जाया जाए तो जरूर भारत पहुँचा जा सकता है।
पर इस बात की जानकारी कोलंबस को भी नहीं थी कि पानी के रास्ते जाने पर भारत कितना दूर होगा ?
समुंद्री यात्रा पर जाने से पहले कोलंबस को आई कई मुश्किलें
भले ही कोलंबस को यह पक्का यकीन था कि समुंद्र के जरिए पश्चिम की तरफ जाने पर भारत मिलेगा, पर उस समय उसकी आर्थिक हालत ऐसी नहीं थी कि वो एक बड़ी समुंद्री यात्रा का खर्च उठा सके।
कोलंबस अपना विचार लिए पहले पुर्तगाल के राजा के पास गया, पर राजा को कोलंबस की बात में दम नही लगा और उन्होंने कोलंबस को सहायता देने से मना कर दिया। इसके बाद स्पेन के शासकों ने कोलंबस की बात सुनी और यात्रा में पैसा लगाने की हामी भरी।
यात्रा का खर्च मिल जाने से ही कोलंबस की मुश्किलें खत्म होने वाली नहीं थी, बल्कि उसे यात्रा पर जाने के लिए कई साथियों की जरूरत थी। पर कोई नाविक उसके साथ जाना नहीं चाहता था क्योंकि उनका विश्वास था कि पृथ्वी टेबल की तरह चपटी है और समुंद्र के अंत के बाद वो नीचे गिर जाएंगे।
इसके सिवाए अनजान जगह की यात्रा में मौत का डर और सफलता की आशा भी बहुत कम थी, तो भला कोलंबस का साथ कौन देता? पर जैसे तैसे राजा रानी के दबाव में कुछ लोग यात्रा पर जाने के लिए तैयार हो गए।
3 अगस्त 1492 को शुरू हुई कोलंबस की भारत खोज़ यात्रा
3 अगस्त 1492 ईसवी को कोलंबस तीन जहाज़ों – सांता मारिया, पिंटा और नीना में 90 नाविकों के साथ भारत को खोज़ने के लिए निकला।
कई हफ्तों के गुज़र जाने पर भी कोलंबस और उसके साथियों को ज़मीन नज़र नहीं आई। इतना लंबा समय गुज़र जाने के बावजूद कई नाविक घबरा गए और कोलंबस से वापिस जाने की गुहार करने लगे। पर कोलंबस शांत था और उन्हें और आगे जाने का आग्रह किया।
यात्रा के कई दिन बाद अचानक भयंकर तूफ़ान की वजह से कई नाविक घबरा गए और एक दिन दिशासूचक गलत दिशा दिखाने लगा तो स्थिती और बिगड़ गई। कोलंबस के कुछ साथी इतने गुस्से में आ गए कि उसे कहने लगे कि अगर उसने वापिस जाने का फैसला नहीं लिया तो वो उसे मार डालेंगे। पर कोलंबस ने किसी तरह उन्हें समझा – बुझाकर शांत किया और अगले तीन दिन तक और यात्रा करने के लिए कहा।
9 अक्तूबर 1492 को कोलंबस को आसमान में पक्षी दिखाई देने लगे और उसने जहाज़ों को उस दिशा में मोड़ने के लिए कहा जिस तरफ पक्षी जा रहे थे। लगातार आगे जाने पर उन्हें पेड़ के पत्ते और रंग बिरंगे फूल दिखाई देने लगे थे, जिसका मतलब साफ़ था कि आगे ज़मीन है।
12 अक्तूबर 1492 को कोलंबस ने ज़मीन पर पैर रखे, तो वो समझ रहे थे कि वो भारत पहुँच चुके है। पर असल में वो एक कैरेबीआई द्वीप पर पहुँचे थे। अगले कुछ हफ्तों में उन्होंने कई अन्य द्वीप खोज़ लिए और उन सभी को मिलाकर, उन्हें भारत का हिस्सा समझ कर ‘इंडीज़‘ नाम दिया।
स्पेन के राजा ने कोलंबस को ढुंढे हुए प्रदेशों का गवर्नर बनाया
इंडीज़ के प्रदेशों में आदिवासी रहते थे जिन्हें आसानी से गुलाम बनाया सकता था। कोलंबस को लगा कि इन प्रदेशों से उन्हें बहुत सारी दौलत मिल सकती है और यहां के लोगों पर राज करने के लिए उन्हें कई आदमियों की जरूरत पड़ेगी तो अपने 90 साथियों में से 40 को यहां पर छोड़ कर वो वापिस स्पेन चला गया।
15 मार्च 1493 को जब कोलंबस स्पेन पहुँचा तो उसका बड़े सम्मान के साथ स्वागत किया गया। स्पेन के राजा ने कोलंबस को ढुंढे हुए प्रदेशों का गवर्नर बना दिया।
इसके बाद 1506 में अपनी मौत तक कोलंबस स्पेन से तीन बार अमेरिकी द्वीपों की तरफ यात्रा करने निकला और हर बार अपने साथ कई साथी ले जाता था और आते समय काफी धन दौलत ले आता था।
दूसरी यात्रा, 13 दिसंबर 1493 को
तीसरी यात्रा, 30 मई 1498 को
चौथी यात्रा, 11 मई 1502 को
चौथी यात्रा के बाद कोलंबस 1504 ईसवी में स्पेन वापिस आ गया और फिर कभी अमेरिकी क्षेत्रों की तरफ नहीं गया।
कोलंबस ने कुल चार अभियान किए थे और उनमे उसने मध्य दक्षिण अमेरिका के कई हिस्से ढुंढ निकाले।
20 मई 1506 को बिमारी की वजह से उसकी मौत हो गई। आश्चर्य की बात यह है उसे अपनी मौत तक भी यह बात कभी पता नहीं चली कि उसने जिन क्षेत्रों को खोज़ा था वो भारत (इंडीज़) नहीं बल्कि एक नई दुनिया है।
कोलंबस का काला और क्रूर सच
जैसे कि हम ने आपको ऊपर बताया, कि कोलंबस अमेरिकी क्षेत्रों से जाते वक्त स्पेन ढेर सारी दौलत अपने साथ ले जाता था। पर यह दौलत आती कहां से थी?
सच यह है कि कोलंबस ने इंडीज़ के आदिवासियों को अपना गुलाम बनाकर उनसे मज़दूरी करवाता था और उनकी संपत्ति को लूट लेता।
स्पेन में मिले पाँच सदी पहले के एक दस्तावेज़ में महान नाविक कोलंबस के चरित्र के काले पक्ष को विस्तार से उजागर किया गया है। दस्तावेज़ में बताया गया है कि इंडीज़ के गवर्नर रहने के दौरान कोलंबस क्रूरता की सभी सीमाओं का लाँघ गया था। कोलंबस के तानाशाही शासन में दी जाने वाली सज़ाओं में शामिल थे- लोगों के नाक-कान कटवा देना, औरतों को सरेआम नंगा घुमाना और लोगों को ग़ुलामों के रूप में बेचना।
जिस दस्तावेज़ में कोलंबस की तानाशाही का सबूत मिला है वो कोलंबस पर भ्रष्टाचार के आरोपों की जाँच-रिपोर्ट है। जब कोलंबस पर भ्रष्टाचार और इंडीज़ के लोगों पर अत्याचार करने की बातें सुन स्पेन के राजा ने उसके खिलाफ़ जाच का आदेश दिया।
जांच में पाया गया कि कोलंबस ने स्पेन भेजे जाने वाले धन में हेरा फेरी की है और इस धन को इक्ट्ठा करने के लिए इंडीज़ के लोगों पर कई अत्याचार किए। कोलंबस के ऊपर लगे आरोप सही पाए गए और इंडीज़ के गर्वनर के पद से हटाकर जेल में डाल दिया गया, पर कोई कड़ी सज़ा नहीं दी गई।
कोलंबस ने बदल दिया इतिहास का रूख
कोलंबस का चरित्र चाहे कैसा भी था, लेकिन उसकी अमेरिकी महाद्वीपों की तरफ की गई यात्राओं ने इतिहास का रूख बदल दिया। इसके बाद वैश्वीकरण की शुरुआत हुई और संसार भर में भविष्य में होने वाले जनसांख्यिकीय, वाणिज्यिक, आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक परिवर्तनों पर अपनी गहरी छाप छोड़ी।
उनकी खोज के परिणामस्वरूप पूर्वी और पश्चिमी गोलार्द्धों के बीच स्थायी संपर्क स्थापित हुआ। इसलिए ‘pre-Columbian’ यानि कि ‘कोलंबस से पूर्व’ term का उपयोग कोलंबस और उसके यूरोपीय उत्तराधिकारियों के आगमन से पहले अमेरिका की संस्कृति को संदर्भित करने के लिए उपयोग किया जाता है।
इस ‘कोलंबस’ नामक परिवर्तन के कारण बड़े पैमाने पर दोनों गोलार्द्धों के बीच जानवरों, पौधों, कवक, रोगों, प्रौद्योगिकियों, खनिज संपदा और विचारों का बड़े पैमाने पर आदान-प्रदान हुआ।
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मित्रों, अगर आपको क्रिस्टोफर कोलंबस के इतिहास और उसकी क्रुरता से जुड़ी यह जानकारी पसंद आई, तो हमें कमेंट्स के माध्यम से धन्यवाद जरूर कहें।
Yogita says
In this article you have described briefly but clearly about Columbus and how he discovered Amarica. This is very useful article for students.
Thanks for uploading!
Sahil kumar says
Your welcome.
अनिल says
एसा साहस होना बहुत बडी बात है|
लेकिन कोलम्बस ने इसका गलत इस्तमाल किया||
जानकारी के लिए आप को
धन्यवाद
Rishabh Trivedi says
Thanks
Meera Gupta says
I,Meera Gupta from M.P.India…was very keen to know about Kolambas;as I am on Spain Journey from 1June to 11th.
Our Guide had given us the whole history.
In Vaslona,in the middle of the City,there is a statue of Kolambas that indicates..he wants to go back to his birth place at the end of the life & back is America.
It means…all is well,but the soul wishes to be with it’s own Relations.
Versha Vashnav says
Thnx sir
Mahima says
Nice one
Ashutosh says
Columbus samudri Yatra ke dwara Bharat Ko Ko Jeene Ke liye Apne 90 Sathiyon ke saath gaya tha toh khana ke liye kya Leke gaya tha
Sahil kumar says
समुंद्र से मछली पकड़र और साथ लिए अनाज को ही वो अपना भोजन बनाते थे।
sarthak patil says
thank you sir i like history so please upload mysteries of history
uday kumar says
thanks for this information
सोहनलाल सिंघाठिया says
साहिल कुमार जी, नमसते, क्रिस्टोफ़र कोलंबस के बारे में दी गई आपकी जानकारी बहुत ही ज्ञानपरक है, आशा है अन्य विषयों में भी आप सटीक जानकारी उपलब्ध करवायेगे । धन्यवाद ।
Nandu says
Sir ye download Kha se hoga
surybhan singh says
mai to sochta tha ki wikipedia par hi sabkuch milta hai
par yah to kamal hai
Arvind jha says
Kmal h sir adhbhut gyan
Nishant ROYE`L says
I like information. ……thanks a lot
Apoorva says
Nice .. keep updating .
Sajid says
Jankari sunkar aesa laga jase yatra ki ho
Thanks
Shambhu paul says
जानकारी बहुत अच्छी है
इतनी जानकारी दुनिया घुम के भी प्राप्त नही की जा सकती है।
Sahil kumar says
धन्यवाद।
Ravi Dhillon says
बेहतरीन लेख है और आप इसके लिए बधाई के पात्र हैं। यदि कोलंबस के ‘इंडीज़ टापुओं’ पर रहने के दौरान की घटनाओं का कुछ इलेबोरेट वर्णन हो सके तो यह लेख अतुलनीय हो बन सकता है। इस ज्ञानवर्धक लेख के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद!
Sahil kumar says
जी आगे चलकर जरूर करेंगे।
shiangi mehta says
Thanks
Sakal Deo Kumar says
ये इतिहास पढ़ने में समझने में अच्छा लगा
Rishu Ranjan says
Thanks for the information
jitendra says
mujhe apki ki sabhi bate badi achi lagi app isie taraha orr nai sachai ko ujager karte rahiye
Sahil kumar says
धन्यवाद जतेंद्र जी।
HARISH KUMAR says
THANKU SIR JI VERY GOOD KNOWLEDGE
Rahul dev says
Very nice
Hind India says
बहुत ही बढ़िया article है ….. ऐसे ही लिखते रहिये और मार्गदर्शन करते रहिये ….. शेयर करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। 🙂 🙂