हज यात्रा इस्लाम धर्म के 5 स्तंभों में से एक है। इस्लाम के अनुसार हर मुस्लिम, चाहे वो औरत हो जा मर्द, का यह कर्तव्य है कि वो अपने जीवनकाल मे कम से कम एक बार मक्का की यात्रा कर हज जरूर करे। हज यात्रा केवल उन्हीं लोगों को करनी चाहिए जो शारीरिक और आर्थिक रूप से हज करने के योग्य हो।
इस्लाम धर्म के 5 स्तंभ
- इमान – हर मुस्लिम मुहम्मद हज़रत साहिब के रसूल होने पर विश्वास करेगा और अल्ला के सिवाए किसी की पूजा नही करेगा।
- नमाज़ – हर मुस्लिम दिन में 5 बार नमाज़ पढ़ेगा।
- रमज़ान – हर मुस्लिम रमज़ान के महीने पर रोज़े रखेगा।
- जकात – हर मुस्लिम अपनी कमाई का 2.5 प्रतीशत हिस्सा धार्मिक कार्यों के लिए दान करेगा।
- हज – हर मुस्लिम अपने जीवन काल एक बार मक्का की यात्रा कर हज जरूर करे।
हज यात्रा कब होती है ?
हज यात्रा इस्लामी कैलंडर के आखरी महीने की 8वीं से 12वीं तारीख तक होती है। क्योंकि इस्लामी कैलंडर के दिन अंग्रेज़ी कैलंडर (जनवरी, फरवरी वाला) के मुकाबले हर साल 10 जा 11 कम होते है इसलिए इसकी तारीखें अंग्रेज़ी कैलंडर के मुताबिक हर साल बदलती रहती है।
हज यात्रा के पड़ाव
इहराम
हज यात्री खास तरह के कपड़े पहनते है जिन्हें इहराम कहा जाता है । पुरुष दो टुकड़ों वाला एक बिना सिलाई का सफेद चोगा पहनते हैं । महिलाएं भी सेफद रंग के खुले कपड़े पहनती हैं जिनमें बस उनके हाथ और चेहरा बिना ढका रहता है ।
यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं को सेक्स, लड़ाई-झगड़े, खुशबू और बाल व नाखून काटने से परहेज करना होता है।
तवाफ
सारे यात्री मस्जिद अल-हरम, जिसमें काबा स्थित है, में पहुँचकर घड़ी की उलटी दिशा में काबा की सात बार परिक्रमा करते है। इस अनुष्ठान को तवाफ कहा जाता है।
सई
तवाफ के बाद यात्री काबा के पास स्थित दो पहाड़ियों सफा और मारवाह के बीच आगे और पीछे चलते हैं। इसे सई कहा जाता है।
तवाफ और सई की रस्म को उमरा कहा जाता है और इनके बाद ही हज़ की असली रस्में शुरू होती हैं ।
पहला दिन
उमरा के बाद अगले दिन यात्री सुबह की नमाज़ पढ़ कर मक्का से 5 किलोमीटर दूर मीना पहुँचते है जहां वो बाकी का सारा दिन बिताते है। यहां वो दिन की बाकी की चार नमाजें पढ़ते है।
दूसरा दिन
अराफ़ात
दूसरे दिन यात्री मीना से लगभग 10 किलोमीटर दूर अराफ़ात की पहाड़ी पर पहुँचते है और नमाज़े अता करते है। अराफ़ात की पहाड़ियों पर दोपहर का समय बिताना जरूरी है, नही तो हज़ अधूरा माना जाएगा।
मुजदलफा
सूरज छिपने के बाद हाजी अराफात और मीना के बीच स्थित मुजदलफा जाते हैं । वहां वे आधी रात तक रहते हैं । वहीं वे शैतान को मारने के लिए पत्थर जमा करते हैं ।
तीसरा दिन
तीसरा दिन बकरीद का दिन होता है। इस दिन सबसे पहले यात्री मीना जाकर सैतान को तीन बार पत्थर मारते है। मीना में पत्थरों के तीन बड़े – बड़े स्तंभ है जो शैतान को दर्शाते है। इस दिन हाजी केवल सबसे बड़े स्तंभ को ही पत्थर मारते है। पत्थर मारने की रस्म अगले दिनों में 2 बार और करनी होती है।
शैतान को पत्थर मारने के बाद बकरे हलाल किये जाते हैं और जरूरतमंद लोगों के बीच मांस बांटा जाता है।
बकरे की कुर्बानी के बाद अब अपने बाल कटवाते हैं। पुरुष पूरी तरह गंजे हो जाते हैं जबकि महिलाएं एक उंगल बाल कटवाती हैं।
बाल कटवाने के बाद एक बार फिर से तवाफ़ की रस्म होती है यानि कि यात्री मक्का जाकर काबा के सात बार चक्कर लगाते है।
चौथा दिन
इस दिन सिर्फ शैतान को पत्थर मारने की रस्म ही होती है। हाजी मीना जाकर शैतान को दर्शाते तीनो पत्थरों के स्तंभों पर सात – सात बार पत्थर मारते हैं।
पांचवा दिन
इस दिन फिर से शैतान को पत्थर मारने की रस्म पूरी की जाती है। सूरज ढलने से पहले हाजी मक्का के लिए रवाना हो जाते है
आखरी दिन हाजी फिर से तवाफ़ की रस्म निभाते है और इसी के साथ हज यात्रा पूरी हो जाती है। कई यात्री इसके बाद मदीना की यात्रा भी करते है जहां मुहम्मद हज़रत साहिब का मकबरा स्थित है।
हज़ में शैतान को पत्थर क्यों मारे जाते हैं?
ऐसा मानना है कि एक बार अल्लाह ने हज़रत इब्राहिम से क़ुर्बानी में उनकी पसंदीदा चीज़ मांगी। इब्राहिम को काफ़ी बुढ़ापे में एक औलाद पैदा हुई थी जिसका नाम उन्होंने इस्माइल रखा था, वो उससे बहुत प्यार करते थे।
( हज़रत इब्राहिम का जन्म चार हज़ार साल पहले हुआ माना जाता है, इस्लाम से पहला उनका ज़िकर बाइबल और यहूदी ग्रंथों में अब्राहिम जा अबराम के नाम से मिलता है। )
लेकिन अल्लाह का आदेश मानकर वह अपने पुत्र की कुर्बानी देने को तैयार हो गए। हज़रत इब्राहिम जब अपने बेटे को लेकर क़ुर्बानी देने जा रहे थे तभी रास्ते में शैतान मिला और उसने उनसे कहा कि वह इस उम्र में क्यों अपने बेटे की क़र्बानी दे रहे हैं और उसके मरने के बाद कौन उनकी देखभाल करेगा।
हज़रत इब्राहिम ये बात सुनकर सोच में पड़ गए और उनका क़ुर्बानी का इरादा भी गडमगाने लगा लेकिन फिर वह संभल गए और क़ुर्बानी देने चले गए।
हजरत इब्राहिम को लगा कि कुर्बानी देते समय उनकी भावनाएं आड़े आ सकती हैं, इसलिए उन्होंने अपनी आंखों पर पट्टी बांध ली थी। कुर्बानी देने के बाद पट्टी हटाई तो उन्होंने अपने पुत्र को अपने सामने जिन्दा खड़ा हुआ देखा। बेदी पर कटा हुआ मेमना पड़ा हुआ था, तभी से इस मौके पर बकरे और मेमनों की बलि देने की प्रथा चल निकली।
इस तरह मुसलमान हज के दौरान शैतान को पत्थर मारते हैं क्योंकि उसने हज़रत इब्राहिम को वरग़ालाने की कोशिश की थी।
क्या काबा शिव मंदिर है ?
दोस्तो, आप ने फेसबुक, वाट्सएप पर कभी यह जरूर पढ़ा होगा कि काबा एक शिव मंदिर है और उस में एक शिवलिंग स्थापित है। तो दोस्तो आपको बता दें कि यह सब बातें बिलकुल गलत है।
आप काबे के अंदर का फोटो देख सकते है जिस से यह साफ़ पता चलता है कि काबे में शिवलिंग जैसी कोई वस्तु स्थापित नही है।
SANJAY says
ACHI POST H SAHIL BHAI
ABDULLAH says
“जकात – हर मुस्लिम अपनी कमाई का 2.5 प्रतीशत हिस्सा धार्मिक कार्यों के लिए दान करेगा।”
Bhai zakaat ka asal matlab ye hai,
कुरआन मजीद में अल्लाह ने फ़र्माया है : “ज़कात तुम्हारी कमाई में गरीबों और मिस्कीनों का हक है।”
Dharmik karya or gharib miskin ko dena
Dono me fark h bhai
AMIT SHINDE says
GALAT BAT POST KI TUNE WAHA SHIVLING HI HAI…. AUR YEH LOG BEWKUF HAI JO BEJUBAN JANWAR KI BALI DETE HAI… AGAR APNE AALLA KO ITNA HI MANTE HO TO APNE BETE KI BALI KYU NAHI DETE ????
INKA DHARM GALAT SIKH DETA RAHA HAI HAMESHA SE INSE TO SARI DUNIYA PARESHAN HAI…
Sahil kumar says
जो भी तुमने मेरे ब्लॉग पर कमेंट किए है, इसको छोड़कर मैने सब डीलिट कर दिए है। अपनी मम्मी से पहले बात करने की तमीज़ सीख ले।
Sukhwant Singh says
Guru Nanak dev ji ne makka Har disha ghuma diya tha iske bare koi jankari do aur makka Mai beef langar Mai Banta jata hai kya ye sahi baat hai,
Sahil kumar says
पहली बात में मिथिहास है और दूसरी बिलकुल गलत है जहां तक मेरी जानकारी है। गुरू जी ने पीर को यह कहा था कि आप मेरे पैर उधर कर दीजिए जिस तरफ अल्ला नहीं है।
KAPIL PADDA says
Hua ye tha, guru Nanak dev ji apni 4udasi ki yatra par jab makka pahunche, ek jagha par vichhram k liye ek jagha lait gaye, tabhi ek maulvi aaya aur gusse Mai virodh karte hua bola tu Allah ke makke ki taraf pair nahi kar sakta, guru ji ne kaha k aap mere pair dusri jagha kar do jab maulvi ne aisa Kiya to maulvi ko usi dishah Mai makka dikhai diya aur maulvi ke 4dishah Mai aisa hee karne par 4dishah Mai bhee aisa hee hua, tabhi guru ji ne kaha ek shan (second) Mai 84 lakh jagha par maujud hai Allah,
Afzal Khan says
sabse pahli bat…unhone Memne ko nahi balki Umar Daraaz Bakre ko Halaal kiya tha……Ye bat note karo….or Rahi baat bali dene ki wo to har jagah di jati hai…KFC me Chicken ki ho…ya koi bhi Non veg jagah ho….India me Puri duniya me sabse zyada bali di jati hain……or second baat…islam me 2.5% hiss un logo ko dene ke liye aya hai jo Ghareeb hain….chahe koi bhi ho….or ye karna Behad zaruri hai…
Sahil kumar says
अब अगर पूरा डिटेल में लिखना हो, तो इस पर पूरी किताब लिखी जा सकती है।
Dishant says
Jai mahakaal
मौत का डर उनको लगता है,
जिनके कर्मों में दाग है
हम तो महाकाल के भक्त हैं,
हमारे तो खुन में भी आग है
rinku shukla says
Ap ka bahut bahut dhanywad sahil Ji ap ne bahut achi jankari post ki..
Aashif says
Wha shivling hona to dur ki bat use pujne wale bhe allow nhi hai….and sahil aapki hr bat bilkuk sahi hai….thank you sir
Sahil kumar says
लेकिन काबा में एक काले रंग का पत्थर लगा हुआ है जिसे हज यात्री चूमते भी है और फ्लाइंग किस भी देते हैं।
aashif says
Rochakk bhaya us pathar ko jannati pathar mana jata hai mtlb jannat se aaya hua or us ko chumna jannat ka didar krne ke brabr hai ..wha ke log na to kisi shivling ko jante hai or na hi bharat ke kisi bhagwan ko agr wha ki aawam ko pta chal jaye ki use gair muslim log aisa smj rhe hai to wha hatho-hath use pathar ko ya to tod diya jayega ya us gayb krdiya jayega ya fir us hath lgane pr pabndi….
Sahil kumar says
धन्यवाद साऊदी अरब की मानसिकता बताने के लिए। और हां पत्थर कोई भी हो पत्थर ही होता है। आपका पत्थर जन्नती और हमारा पत्थर सिर्फ पत्थर – ये कैसा इंसाफ।
aashif says
Sir mere khne ka mtlb wo pathr hai pr pr wha ke log na to shiv ji ko jante hai or na he bharat ke kisi bhagwan ko
Sahil kumar says
वैसे आपके किए कमेंट से ऐसा लग नहीं रहा था कि आपने ऐसा कहा है।
Sabiha khan says
Bahut shandaar post hai aapne bahut achhe se explain kiya hai
Prince sharma says
very nice. ……
Niranjan says
Sahil bhai Purushottam Oak ek historian huye h unhone b Kaaba mai shivling hone ki baat kahi h unhone to ye bi kaha h k pahle wahaa shivmandir tha.. mai bi is baat ko nahi manta but kabhi kabhi duot hota h… unhone to Taj Mahal k liye b bahut kuch likha h k wo b shivmandir th unhone kai books likhi h unme aisa hi bahut kuch h.unke baare me b post kijiye ki unhone aisa kyo likha kyoki unki books k karan hi ye sb baate hoti h plz.. i m waiting
Sahil kumar says
मुझे उनके बारे में अच्छी तरह से पता है निरंजन जी। उनके बारे में पोस्ट करने की कोशिश करूँगा।
Raj says
kya makka ki yatra hindu nahi kar sakta.
Sahil kumar says
Nahi Raj ji.
ramesh says
muje lagta hai waha sivling hai
Anonymous says
mashaallah umda alfaz
Betu says
Sach se badi koi cheej nahi hoti.post achha Laga , sachhai dikhakar…..
Md. Prawez ansari says
Thanks, SHAHIL BHAI
Ye post mujhko bahut achha laga.
Aapki ye post pahli bar padha hu.
Musawwir Baig says
Sahe hai.
Lekin kamai ka jo 2.5 hissa hai dharmik kaam me nahe kharch karna hai.
Kamai ka 2.5 hissa gareeb(poor)(kamzoor, zaef ,bemaar, mazloom, masum baccho jo beghar hai, yateem ,matlab jin logo k pass paise kamane ka koi zariya(source) nahe ho). In log zakat k hakdar hai.
lm says
sahi kaha bahisaab apne…main sahmat hoon
Vikas Sahu says
Very Nice
Sunil kumar says
Sir mujhey daily badan dard hota hai badan dard ki terfdhyan ho jata hai to mahsus hota hai nahe to nahe hath or peron me chebhak chebhek hote hai mansik tour pr bhe presaan rahta hun lagbhag 3 saal pahley ek ladke k sath sex kiya tha bina kondam k mujhy nahe pata ke usko HIV tha ke nahe laken ab hath or pero me jo chubhak chubhak hote hai kya vo Hiv ka he lexan hai plz about me?
Sahil kumar says
आप किसी डॉक्टर से मिलीए ।
HindIndia says
शानदार पोस्ट … बहुत ही बढ़िया लगा पढ़कर …. Thanks for sharing such a nice article!! 🙂 🙂
Lokesh says
Bhai aap 20 century ki purani photo dekho aapko afbaho ki bajah samajh mai jayegi.
Sahil kumar says
वो फोटो फेक है।
burhan ahmed says
bahut khub ……acha lga pad ke
aise hi post krte rho…
sufiyan tauheed says
Nyc bhai
Shukria
Waha shivling hai
Ye sirf nonmuslim dwara udaya gaya ek afwah hai
Waha shivling nhi hai
Sahil kumar says
Non-muslim नही कुछ बिना तर्क वितर्क वालो ने यह फैलाया है। मैं भी लंबे समय तक यही मानता रहा था।
Bipin Kumar sahyogi says
Bhai waha pe shiv ling hai ye baat muslim log kahte hai
Sahil kumar says
मित्र कोई मुस्लिम यह बात नही कहता है, तस्वीर तो आप देख ही चुके है बाकी युट्यूब पर काबे के अंदर की गई वीडियो है जिनसे साफ़ पता चलता है कि अंदर शिवलिंग जैसी कोई चीज़ नही है।
Milan says
Rehne Do Baki Sabko Pata Hai Maine Bhi Bohat Se Muslim Ko Kehte Suna Hai Woha Shivling Hai Muslim Khud Kehte Hai :p
Sahil kumar says
आपकी मर्जी, जो सोचना है सोचिए।