इसरो भारत की राष्ट्रीय स्पेस एजेंसी है जिसका उद्देश्य भारत के लिए अंतरिक्ष संबंधी तकनीक उपलब्ध करवाना है। इसरो की वजह से भारत उन छहः देशों में शामिल है जिसमें सेटलाइट बनाने और उन्हें लांच करने की क्षमता है। आइए हमारी इस बेहतरीन संस्था से जुड़े कुछ रोचक तथ्य आपको बताएं-
रोचक तथ्य
1. इसरो की स्थापना डॉक्टर विक्रम साराभाई द्वारा वर्ष 1969 में स्वतंत्रता दिवस के दिन की गई थी। उन्हें भारत के स्पेस प्रोग्राम का जनक कहा जाता है।
2. इसरो का हेड क्वाटर बेंगालूरू में है और देशभर में इसके कुल 13 सेंटर हैं।
3. इसरो में लगभग 17 हज़ार वैज्ञानिक काम करते है। आपको जानकर हैरानी होगी कि कई वैज्ञानिको ने अपना पूरा जीवन इसरो को समर्पित कर दिया और आजीवन विवाह नही करवाया।
4. ISRO का Full Form है – Indian Space Research Organization. हिंदी में इसे ‘भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन’ कहते है।
5. आपको जानकर हैरानी होगी कि भारत का अंतरिक्ष विभाग पहले भारत के परमाणु विभाग के अंर्तगत हुआ करता था, पर अंतरिक्ष विभाग का काम बहुत ज्यादा था और इसलिए वर्ष 1969 में इसे इसरो के नाम से अलग संस्था बना दिया गया।
6. अक्तूबर 2016 तक इसरो 100 से भी ज्यादा देशी और विदेशी सेटलाइट लांच कर चुका है। विदेशी सेटेलाइटस में कई अमेरिका और रूस जैसे बड़े देशों के भी है। विदेशी सेटेलाइट लांच करने से इसरो को 700 करोड़ रूपए से भी ज्यादा की कमाई हुई है।
7. ISRO का पिछले 40 साल का खर्च NASA के एक साल के खर्च के आधे से भी कम है। नासा की इंटरनेट स्पीड 91GBps है और इसरो की इंटरनेट स्पीड 2GBps है।
8. इसरो का पहला उपग्रह जो 19 अप्रैल 1975 को रूस की सहायता से लाँच किया गया था। इसका नाम आर्यभट्ट था।
9. जून 2020 में भारत सरकार ने अंतरिक्ष क्षेत्र को निजी कंपनियों के लिए खोलने का फैसला किया। यानि एलन मस्क की कंपनी SpaceX की तरह अंतरिक्ष में भारत की निजी कंपनियां काम कर सकेंगी। अभी केवल इसरो यह काम करती है, लेकिन इसरो एक सरकारी संस्था है।
चंद्रयान-1 अभियान
10. चंद्रयान-1 अभियान के तहत इसरो ने एक मानवरहित यान को रिसर्च के लिए चांद की कक्षा में भेजा था।
11. चंद्रयान 22 अक्तूबर 2008 को सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से छोड़ा गया और चांद तक पहुँचने में इसे करीब 5 दिन लगे और चांद की कक्षा में स्थापित होने के लिए इसे 15 दिन का समय लगा।
12. वैज्ञानिकों का मानना था कि चंद्रयान-1 2 साल तक काम करता रहेगा, परंतु दुर्भाग्य 10 महीने बाद ही अगस्त 2009 को चंद्रयान से संपर्क टूटने के बाद ही इस मिशन का अंत हो गया। पर अच्छी बात यह रही कि इन दस महीनो में ही चंद्रयान ने अपना 95% काम पूरा कर लिया था।
13. आपको जानकर खुशी होगी कि चंद्रयान-1 की वजह से ही भारत चांद पर पानी खोज़ने वाला पहला देश बन गया है। चंद्रयान ने चांद पर मौजूद चट्टानों पर पानी होने के पुख्ता सबूत भेजे थे जिसे दुनिया की बाकी अंतरिक्ष एजेंसियों ने भी माना।
मंगलयान मिशन
14. मंगलयान मिशन के तहत इसरो ने 5 नवंबर 2013 को मंगल ग्रह की और एक उपग्रह भेजा था जो 298 दिन की यात्रा के बाद 24 सितंबर 2014 को मंगल की कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित हो गया।
15. मंगलयान के मंगल पर पहुंचने के साथ ही भारत पहले ही प्रयास में मंगल में पहुँचने वाला पहला देश बन गया। इससे पहले किसी भी देश का पहला मंगल अभियान कामयाब नही हुआ था।
16. भारत मंगल ग्रह पर पहुँचने वाला एशिया का पहला देश भी है क्योंकि इससे पहले चीन और जापान अपने मंगल अभियान में असफल रहे थे।
मंगल ग्रह से जुड़े 20 ज्ञानवर्धक तथ्य।
प्रमुख राकेट (प्रक्षेपण वाहन)
17. राकेट वो यान होता है जिससे उपग्रहों को छोड़ा जाता है, इसरो के पास दो प्रमुख राकेट हैं- PSLV और GSLV.
18. PSLV छोटे आकार के हलके उपग्रहों को छोड़ने के लिए प्रयोग किया जाता है। अब तक 70 से ज्यादा उपग्रह PSLV द्वारा छोड़े जा चुके है।
19. PSLV की सहायता से 28 अप्रैल 2008 को एक साथ 10 उपग्रह छोड़े गए थे और 22 जून 2016 को एक साथ 20 उपग्रह इसने पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किए।
20. GSLV भारी किस्म के उपग्रहो को पृथ्वी से 36 हज़ार किलोमीटर की ऊँचाई पर स्थापित करने के लिए उपयोग किया जाता है।
21. ISRO ने 15 फरवरी 2017 को PSLV-C37 रॉकेट की सहायता से अंतरिक्ष में एक साथ 104 सैटेलाइट को अंतरिक्ष में भेजा था। इसके साथ ही एक बार में सबसे ज्यादा सैटेलाइट छोड़ने का रिकार्ड भारत के नाम हो गया। इसके बाद रूस का नंबर आता है जिसने एक बार में 37 सैटेलाइट छोड़े थे।
22. भारत के पहले राॅकेट के लाँच के समय भारतीय वैज्ञानिक हर रोज तिरूवंतपूरम से बसों में आते थे और रेलवे स्टेशन से दोपहर का खाना खाते थे। पहले राॅकेट के कुछ हिस्सों को साइकिल पर ले जाया गया था।
भविष्य के अभियान
चंद्रयान-2 मिशन
चंद्रयान-1 की सफलता से उत्साहित होकर इसरो ने जुलाई 2019 में चंद्रयान-2 मिशन भेजा। इस मिशन के अंतर्गत यहां एक आर्बिटर चंद्रमा का चक्कर लगाएगा, तो वहीं चाँद के दक्षिणी ध्रुव पर एक रोवर और लैंडर भी उतारएगा, जो वहां पर 14 दिनों तक खोजबीन करेंगे।
आदित्य मिशन
आदित्य एक उपग्रह है, जो सूर्य के सबसे भारी भाग का अध्ययन करेगा क्योंकि अभी तक सुर्य के भारी भाग का अध्ययन केवल सूर्य ग्रहण के समय ही किया जा सकता है। यह मिशन साल 2019-20 में प्रस्तावित है।
गगनयान मिशन 2022
गगनयान के तहत तीन लोगों को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा । ये लोग कम से कम सात दिन तक अंतरिक्ष में रहेगा । कैबिनेट में गगनयान के लिए 10 हजार करोड़ रुपए की राशि को मंजूरी दी है । इसमें टेक्नोलॉजी विकास लागत, विमान हार्ड-वेयर प्राप्ति तथा आवश्यक ढाँचागत तत्व शामिल हैं। साथ ही सरकार ने 2022 तक इसे भेजने का लक्ष्य रखा है।
दोस्तो, हमें यकीन है कि इसरो से जुड़ी यह बातें जानने के बाद आपको जरूर गर्व महसूस हुआ होगा। अगर आप इसी तरह की जानकारी लगातार पाना चाहते है तो हमारा Facebook Page लाइक करें। धन्यवाद।
SANDIP KUMAR CHAUHAN says
Sir, aapka post padhkar bahut hi achha laga
Very nice
Shivankit Dwivedi says
सर मैं इशरो मे ड्राइवर की नौकरी करना चाहता हू
Manoj Baghel jehalpur says
Sir bahut achhi jankari hai
Daya sagar joshi says
Bahut samandar jaankari
Prahlad dhakad says
सर, आपके पोस्ट मैं कुछ अलग बात होती हैं।
ये बहुत ही interesting होते हैं।।।
Sahil kumar says
धन्यवाद प्रहल्लाद जी।
Anonymous says
लाभदायक जानकरी भाई ऐसे ही पोस्ट करते रहो
Rajnish indra guru says
aapka post bahut hi aacha rahta hai ISRO ki jankari ke liye dhanybad…………..
prashant rawat says
Ok! Thanks bhai
prashant rawat says
Sabse pahle diwali wish karna cahunga ‘ happy diwali’ bhai main apke statment main padhta rahta hu. Please bhai mujhe ye bata do ki pottasium cynoide kaise banaya jata hai. Nahi! Bhai main socide nahi karunga bas knowledge ke liye pooch raha hu. Aur ha nikola teslaw ke secret research, aur wireless electricity bhi, please mere comment par sesery najar se jarur padhna avoide mat kar dena. thank you.
Sahil kumar says
नमस्ते प्रशांत जी,
आपको भी दिवाली की शुभाकामनाएं। साइनाइड बनाने की जानकारी हम आपको नही दे सकते। यह आप नेट पर सर्च कर लीजिए।
टेस्ला पर आपको ज्यादा जानकारी यहां पर मिल जाएगी।
Anuj kumar says
Sahil ji..happy diwali…me aapka post daily study karta hu…well,mujhe aapka post study karna bahut achcha lagta hai.aapka post really me bahut instresting hai…..
Sahil kumar says
धन्यवाद अनुज कुमार जी।
kuldeep says
aap konse plugins ka use karte ho author box ke liye….
Sahil kumar says
Koi Nahi Kuldeep Ji, Ye Bhi Theme ka hi feature hai.
Anurag says
Ha shahi baat
Prakash Raj says
thanks for this awesome post.
visahl thakur says
sir ,
sorry but i conform you that something are mistake …..
that ….
about MANGALYAAN MISSION date of his successfull datails
right detail –
lounch date – 5 nov./ 2014
mission success date – 24 sit./ 2015
because total days is 298.
Sahil kumar says
नमस्ते विशाल ठाकुर जी,
असल में आप और हम से एक गलती हो गई, हम ने लांच का साल गलत लिख दिया था। मंगलयान 2013 में लांच हुआ था, बाकी सब सही है।
Kabir says
इसरो के बारे में रोचक जानकारी जानकार अच्छा लगा. यह भी गर्व का विषय हैं की भारत का मंगलयान दुनिया का सबसे सस्ता कीमत में था.. इसरो की कामयाबी और भारत के मंगलयान की सफलता पर दुसरे देशो को काफी जलन भी हुयी थी.. मुझे याद हैं अमेरिका के New York Times ने मंगलयान की सफलता पर एक ऐसा विवादस्पद कार्टून बनाया था की जिस पर अमेरिका में रहने वाले भारतीय समुदाय ने गहरा विरोध जताया था और अंत में The New York Times ने अपनी इस दुष्टता पर माफ़ी भी मांगी थी…
Sahil kumar says
आपके बहुमुल्य कमेंट के लिए धन्यवाद कबीर जी।